EPF क्या हैं ? Employee Provident Fund in Hindi
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EPF क्या हैं ? Employee Provident Fund in Hindi

Employee Provident Fund in Hindi अगर आप यही जानना चाहते हो  EPF क्या हैं तो बिलकुल हम इस पोस्ट में आसान भाषा में बताएगे Employee Provident Fund in Hindi क्या है कुछ लोग सर्च करते है EPF क्या हैं ? तो उसका भी पूरा जवाब इसी पोस्ट में मिलेगा 

यह पोस्ट सिर्फ सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि अगर आप एक उद्यमी हैं या किसी कंपनी के HR डिपार्टमेंट में काम करते हैं या आप एक मैनेजर हैं जो CTC ब्रेकअप में उलझे अपने किसी अपने जूनियर की मदद करने की कोशिश कर रहा है.. तो आपको भी इस कंटेंट Employee Provident Fund in Hindi से काफी मदद मिलने वाली है।



Employee Provident Fund in Hindi
EPF क्या हैं ?




एक अच्छा पर्सनल फाइनेंस टूलकिट वही होता है जो तीन ज़रूरी उद्देश्यों को पूरा करता है

  1. निवेश प्रॉडक्ट के ज़रिए पैसा कमाना
  2.  पेंशन प्लान के ज़रिए रिटायरमेंट के लिए पैसे इकट्ठा करना
  3.  सुरक्षा… जो इंश्योरेंस पॉलिसी सबसे बेहतर तरीके से प्रदान करती हैं


अब, आपको यह बात जानकर शायद थोड़ी हैरानी हो सकती है कि हम में से ज़्यादातर लोग पहले से ही एक ऐसे
फ़ाइनेंशियल प्रॉडक्ट में निवेश कर रहे हैं, जिसमें ये तीनों ज़रूरी चीज़ें यानी पैसा, रिटायरमेंट और सुरक्षा शामिल है और यह बहुआयामी प्रॉडक्ट और कोई नहीं बल्कि एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड है जिसे आमतौर पर EPF के नाम से जाना जाता है।


Employee Provident Fund in Hindi


EPF सिर्फ एक स्कीम नहीं है, बल्कि इसमें वास्तव में तीन अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तीन अलग-अलग स्कीम शामिल हैं।

EPF के प्रकार


इस स्कीम का पहला भाग या कोर EPF है जिसमें आपके रिटायरमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट इकट्ठा होते हैं। यह स्कीम का पैसा बनाने का हिस्सा है और इस आर्टिकल का बड़ा भाग इस पर केंद्रित होगा।

EPF का दूसरा भाग EPS या एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम है। EPS का उद्देश्य कर्मचारियों के लिए 58 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन जनरेट करना है

EPF का तीसरा और आख़िरी भाग एम्प्लॉयी डिपॉज़िट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम या EDLI है  जो मेंबर को प्रदान किया जाने वाला लाइफ इंश्योरेंस कवर है

सीधे शब्दों में कहें तो … EPF के तीन भाग होते हैं - EPF, EPS और EDLI यहां ध्यान में रखने लायक अच्छी बात यह है कि आपको इन सभी बेनिफिट के लिए अलग से रजिस्टर करने की ज़रुरत नहीं है। इसका मतलब है कि जब आप EPF के लिए रजिस्टर करते हैं  तो आप EPS और EDLI के लिए भी अपने आप रजिस्टर हो जाते हैं

 EPF स्कीम का कामकाज काफी सीधा नज़र आता है। इसकी शुरुआत कर्मचारी द्वारा अपनी सैलरी का एक तय हिस्सा स्कीम में देने के साथ होती है, जिसमें अक्सर एम्प्लॉयर भी बराबर राशि का योगदान देते हैं और फिर  यह संयुक्त पैसा तब एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइज़ेशन या EPFO के पास जमा किया जाता है, जिस पर आप को हर साल ब्याज मिलता है और बस यही EPF स्कीम का बेसिक कामकाज है 

EPF on सैलरी


 सैलरी पर बातचीत करने के दौरान आपके CTC के कंपोनेंट को लिस्ट करते समय HR टीम आम तौर पर आपको इसे इसी तरह से समझाती है लेकिन असल बात इसके विवरण में छुपी है तो चलिए इसके बारे में थोड़ी गहराई से जानते हैं। 

चलिए ”सैलरी” शब्द से शुरू करते हैं EPF के उद्देश्य के लिए - सैलरी का मतलब सिर्फ दो चीजें होता है यानी आपकी बेसिक सैलरी और महँगाई भत्ता। जिसका मतलब है कि इसमें आपका HRA, वाहन भत्ता, विशेष भत्ता या आपकी सैलरी स्लिप में दिया गया कोई दूसरा लाभ शामिल नहीं होता है।

 अब आम तौर पर प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां महंगाई भत्ता नहीं देती हैं, इसलिए सिर्फ बेसिक सैलरी EPF गणना का आधार बन जाती है। अब जो अगली चीज हम समझेंगे वह है इस स्कीम के तहत पात्रता वर्तमान नियमों के हिसाब से 20 या उससे ज़्यादा कर्मचारियों वाले किसी भी संगठन को EPFO के साथ रजिस्टर करना ज़रूरी होगा और कर्मचारियों को EPF बेनिफिट प्रदान करने होंगे। 

निजी कंपनियों के लिए पीएफ नियम


असल में, 20 से कम कर्मचारियों वाले संगठन भी स्वैच्छिक आधार पर EPF प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं इसके अलावा, यह भी नियम है कि जिन कर्मचारियों की सैलरी 15,000 रुपये महीना है, उन्हें EPF प्रोग्राम में शामिल करना ज़रूरी है। अब इससे हमारे मन में एक सवाल आता है। क्या EPF प्रोग्राम से बाहर निकलना मुमकिन है? और इसका जवाब है ..हाँ। आप EPF स्कीम से बाहर निकल सकते हैं, जब आप अपना करियर शुरू करते हैं यानी उस समय जब आप 15,000 रुपये से ज़्यादा की बेसिक सैलरी पर अपनी पहली कंपनी को जॉइन करते हैं।

 ऐसे मामले में .. क्योंकि आपने कभी EPF स्कीम में योगदान नहीं दिया है, तो आप संगठन में शामिल होने के दौरान फॉर्म 11 भर सकते हैं, जिससे आपको PF उद्देश्यों से बाहर कर्मचारी के तौर पर माना जाएगा। हाँ बिलकुल, आप बाद में EPF प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं लेकिन जब आप एक बार स्कीम के तहत एनरॉल हो जाते हैं .. तो आपको इससे तब तक छूट नहीं दी जा सकती जब तक कि आप किसी ऐसी फ्यूचर कंपनी या स्टार्टअप को जॉइन नहीं कर लेते हैं जो EPF एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं है।

 हमारे विचार में ... ऐसे ज़्यादातर संगठन जो EPF के दायरे में आते हैं, उनके कर्मचारियों के लिए इस स्कीम में शामिल होना ज़रूरी है और आगे हम इसी स्थिति के बारे में बात करेंगे। यहां एक आम सिनेरियो है कि 

पीएफ कटौती नियम


 हर कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% EPF के लिए कटता है और इतनी ही प्रतिशत राशि नियोक्ता द्वारा भी डाली जाती है। मतलब 12% और 12 में 12 और जुड़ गए तो यह 24% हो गया लेकिन यह पूरा 24% आपके EPF संचय में नहीं जाता है।

 अब यहाँ ये होता है कर्मचारी जिस 12% का योगदान देता है, वह EPF में जाता है .. मतलब इसमें तो कोई उलझन नहीं है। लेकिन नियोक्ता का 12% का योगदान के दो हिस्से हो जाते हैं पहला हिस्सा यानी 3.67% उम्मीद के मुताबिक EPF में जाता है .. लेकिन बड़ा हिस्सा.. नियोक्ता के योगदान का दूसरा हिस्सा यानि 8.33% एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम या EPS में जाता है इसका मतलब है ... 24% आपके CTC से प्राप्त किया जा रहा है .. जिसमें से सिर्फ 15.67% आपके वेल्थ एकुम्युलेशन कॉर्पस में जा रहा है ... जबकि बाकी 8.33% पेंशन कॉर्पस में जा रहा है।

 इस समय .. मैं एक वास्तविक उदाहरण देना चाहता हूँ जो दो उद्देश्यों को पूरा करेगा।
 पहला इससे सभी कुछ साफ़ हो जाएगा और दूसरा इससे हमें एक छोटी सी जटिलता को समझने में मदद मिलेगी। 

उदाहरण

मान लीजिए कि बेसिक और DA मिलाकर आपकी महीने की सैलरी 50,000 रुपये है पहला स्टेप है कर्मचारी का EPF में योगदान जो कि 50,000 का 12% है, मतलब 6,000 रुपये है दूसरा स्टेप है नियोक्ता का योगदान जिसे दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है स्टेप 2A … 3.67% है जो EPF में जाता है .. तो 50,000 का 3.67% मतलब 1835 रुपये स्टेप 2B … यही वह है जहाँ अतिरिक्त जटिलता आती है क्योंकि यह सीधा 50,000 का 8.33% नहीं है। और ऐसा इसलिए है क्योंकि … EPS योगदान की गणना के उद्देश्य के लिए, नियम के हिसाब से यह ज़रूरी है कि सैलरी 15,000 रुपये होनी चाहिए।


EPF का विभाजन


 इसका मतलब है कि हम नियोक्ता के EPS योगदान के तौर पर 50,000 के 8.33% के बजाय ... 15,000 के 8.33% की गणना करेंगे जो कि 1,250 रुपये है। तो बाकी का क्या होता है? यानी 35,000 का 8.33% वह राशि .. मतलब 2915 रुपये नियोक्ता के EPF योगदान में जोड़ दी जाएगी। अब इन सब को एक साथ जोड़ा जाए तो... नियोक्ता का EPF में कुल योगदान.. 50,000 का 3.67% मतलब 1835 रुपये .. 35,000 का 8.33% मतलब 2915 रुपये.. तो कुल मिलाकर 4,750 रुपये का कुल योगदान है। इस विशेष स्थिति में 50000 का 24% .. मतलब 12000 रुपये को EPF में 10,750 रुपये और EPF में 1,250 रुपये के तौर पर विभाजित किया जाता है।

 ये विभाजन और योगदान इसलिए इतने ज़रूरी हैं क्योंकि ये आपकी सैलरी के ढांचे को बेहतर तरीके से समझने में आपकी मदद करते हैं। सबसे पहले, अब आप एक कर्मचारी तौर पर कर्मचारी और नियोक्ता के प्रोविडेंट फंड में योगदान के अपने CTC ब्रेकअप के कुछ अतिरिक्त हिस्सों को जान गए हैं। इसकी समझ आपकी टेक-होम सैलरी को प्रभावित कर सकती है।

 उदाहरण के लिए - अगर आपका संगठन इसकी अनुमति देता है .. तो आप 1,800 रुपये यानी 15,000 रुपये का 12% के न्यूनतम अनिवार्य PF योगदान का विकल्प चुन सकते हैं। इस तरह आप अपने HR डिपार्टमेंट को अपने कंपनसेशन के अन्य कंपोनेंट पर फिर से काम करवा के अपनी टेक-होम सैलरी बढ़ा सकते हैं। 

मालिक के लिए EPF नियम


दूसरी बात, अगर आप किसी बिज़नेस के मालिक हैं तो आप समझदारी भरा कदम उठाकर सैलरी के ढाँचे को कुछ इस तरह डिज़ाइन कर सकते हैं जहाँ सैलरी का 100% बेसिक सैलरी होगी। इस तरह, आप EPF में और ज़्यादा योगदान दे सकते हैं, जो आपके टैक्स को कम कर सकता है ... और आपके लिए एक साधन में अच्छा रिटायरमेंट नेस्ट बना सकता है जो आपको टैक्स फ्री रिटर्न देता है। कई HNI और व्यवसायी ऐसा करते हैं .. और अगर आप भी इस ऐसा करने के इच्छुक हैं, तो इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें।

 लेकिन इस पोस्ट के बाद के सेक्शन देखना ना भूलें, जहाँ हम हाल ही में प्रस्तुत किए गए बजट प्रस्तावों की रोशनी में इस बिंदु की जाँच करेंगे। EPF ब्याज दर सालाना आधार पर एम्प्लॉईज़ प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइज़ेशन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ द्वारा प्रस्तावित की जाती है ... जिसे बाद में अंतिम मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय को भेजा जाता है।

EPF की दर

EPF क्या हैं ?

 दिलचस्प बात है कि 1950 और 1960 के दशक में ब्याज दर काफी कम थी और कभी भी 6% तक नहीं पहुंची। 1990 के दशक की तुलना में यह काफी कम था जब PF की ब्याज दरें 12% थीं, फिर यह धीरे-धीरे अगले दो दशकों में कम होने लगी। EPF की अंतिम घोषित ब्याज दर 2019-20 के लिए थी जो कि 8.50% थी। यह 8.5% की संख्या बहुत दिलचस्प है क्योंकि पब्लिक प्रोविडेंट फंड जो 7.1% पर है, उसकी तुलना में यह संभवतः सबसे बड़ा अंतर है। 

इसलिए अगर PPF एक इंडिकेटर है, तो इस वित्तीय वर्ष में EPF की ब्याज दरें थोड़ी और कम हो जाए तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। और ऐसा कहने का कारण EPF चार्टर है जिसके लिए ज़रूरी है कि EPF कॉर्पस का 85% डेट इंस्ट्रूमेंट में जाना चाहिए है जो कि 5.8% के करीब रिटर्न दे रहे हैं इसलिए ब्याज दर एक ऐसी चीज है, जिसकी तरफ हमें देखने की जरूरत है। इसके अलावा .. एक सवाल ऐसा भी है जो अक्सर लोग पूछते हैं कि अगर 36 महीने से ज़्यादा समय तक किसी अकॉउंट में कोई योगदान नहीं दिया जाता है तो क्या ब्याज मिलता है।

EPF का इतिहास

EPF क्या हैं ?

 इसके पीछे एक छोटी सी कहानी है। EPFO ने वित्तीय वर्ष 2011-12 में उन अकॉउंट पर ब्याज देना बंद करने का फैसला किया था जो 3 साल से ज़्यादा वक्त से निष्क्रिय थे .. मतलब 36 महीने। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि प्रोविडेंट फंड सब्सक्राइबर अपने EPF अकॉउंट को नज़रअंदाज़ ना करें। सभी तिमाहियों में इसका बहुत प्रतिरोध हुआ था .. और आख़िरकार नवंबर 2016 में यह फैसला वापस ले लिया गया था। 

जिसका मतलब है कि अब भले ही आपका अकॉउंट 3 साल से ज़्यादा वक्त से निष्क्रिय पड़ा हो, तो भी यह पहले की तरह ब्याज हासिल करता रहेगा .. जब तक कि सदस्य 58 साल का नहीं हो जाता है। यह निरंतरता और एक अच्छी ब्याज दर EPF को एक बेहतरीन रिटायरमेंट टूल बनाती है। और इससे भी अच्छी बात यह है कि EPF टैक्सेशन exempt-exempt-exempt केटेगरी के तहत आता है, जिसका मतलब है कि मैच्योरिटी राशि पर को कैपिटल गेन्स नहीं होगा। ऐसी तीन स्थितियाँ हैं

 जिनमें EPF का 100% पैसा निकाला जा सकता है पहली। 58 साल की उम्र होने पर दूसरी। अगर आप दो महीने या उससे अधिक समय से बेरोज़गार हैं और तीसरी। सदस्य की असमय मृत्यु होने पर, जिसके बाद पूरा कॉर्पस नियुक्त नॉमिनी को दे दिया जाता है। 

PF withdrawal rules in hindi

EPF क्या हैं ?

अब .. अगर आप रिटायरमेंट से पहले अपने EPF अकॉउंट से विड्रॉ करना चाहते हैं . तो इसके लिए कई नियम और शर्तें हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना होगा। पहली ऐसी शर्त जो उन स्थितियों से संबंधित है, जिसके तहत आपको प्री-मैच्योर विड्रॉल की अनुमति है। और इनमें शिक्षा, ज़मीन खरीदना, शादी, मेडिकल इमरजेंसी, होम लोन चुकाना आदि जैसी कुछ ख़ास परिस्थितियाँ शामिल हैं। 

स्थितियों की व्यापक लिस्ट EPFIndia की वेबसाइट पर उपलब्ध है। हम इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में इसका लिंक दे रहे हैं। चलिए हम कुछ परिस्थितियां लेते हैं और इनमें शामिल जटिलताओं के बारे में जानते हैं। चलिए मान लेते हैं कि कोई मेडिकल कारणों से विड्रॉ करना चाहता है। इस स्थिति में, मेंबर को कर्मचारी के एक्युमुलेटेड कॉर्पस या मासिक सैलरी का छह गुना, जो भी कम हो उसे विड्रॉ करने की अनुमति है। 

चलिए अब अन्य परिस्थिति देखते हैं -- शादी के लिए विड्रॉल। इस स्थिति में .. मेंबर को कम से कम 7 साल की सर्विस पूरी करनी चाहिए और इसके बाद .. ब्याज के साथ कर्मचारी के योगदान का 50% विड्रॉ किया जा सकता है। तो.. अलग-अलग उद्देश्यों के अलग-अलग नियम हैं .. इसलिए इस पर ध्यान देना चाहिए। 2021 के बजट में दो प्रस्ताव ऐसे थे जिनका EPF पर प्रभाव पड़ता है 

पहला प्रस्ताव था कि अगर कोई नियोक्ता तय समय के अंदर EPF योगदान जमा नहीं करवाता है तो उस कारण मिलने वाले ब्याज का नुकसान कर्मचारी को नहीं उठाना होगा। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि नियोक्ताओं पर समय पर योगदान जमा करवाने का दबाव डाला जा सके, जिससे कि कर्मचारियों को नियोक्ता की लापरवाही के कारण ब्याज में कोई नुकसान ना हो ऐसा करने का एक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि नियोक्ता दूसरे उद्देश्यों के लिए इस पैसे का गलत इस्तेमाल ना करें ।

EPF क्या हैं ?

 बजट में दूसरा प्रस्ताव हाई सैलरी ब्रैकेट वालों पर लक्षित है, जिसके मुताबिक सालाना प्रोविडेंट फंड योगदान पर मिलने वाला ब्याज अगर 2.5 लाख रुपए से ज़्यादा हुआ तो यह अप्रैल 2021 से टैक्स के दायरे में आएगा। यहां इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी कि यह प्रावधान सिर्फ कर्मचारी के योगदान पर लागू होगा, नियोक्ता के योगदान पर लागू नहीं होगा। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हमने झटपट एक हिसाब-किताब लगाया।

 2.5 लाख सालाना मतलब एक इंसान EPF में महीने में लगभग 20,833 रुपये का योगदान देता है। यह कर्मचारी का 12% योगदान तब आएगा जब उसकी मासिक बेसिक सैलरी 1.73 लाख होती है इसलिए अगर आपकी बेसिक सैलरी 1.73 लाख से कम है तो आपको इस बारे में चिंता करने की ज़रुरत नहीं है।

 लेकिन सिर्फ हमारी समझ के साथ जाना सही नहीं है .. आपको अपने टैक्स एडवाइज़र से इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए जिन्हें इस प्रावधान की ज़्यादा समझ है। EPF या एम्प्लॉयी प्रोविडेंट फंड रिटायरमेंट के लिए पैसे इकट्ठा करने का एकमात्र विकल्प नहीं है। कंज़्यूमर का ध्यान और पैसा आकर्षित करने के लिए इसका मुकाबला PPF, NPS, फिक्स्ड डिपॉज़िट, म्यूच्युअल फंड्स और कुछ अन्य इंस्ट्रूमेंट से है। 

Tax 


तो, EPF क्यों? सबसे अच्छे रिटायरमेंट प्लानिंग टूल्स में से एक होने के अलावा .. EPF अच्छी ब्याज दर ऑफर करता है टैक्सेशन की बात की जाए तो यह exempt-exempt-exempt केटेगरी में आता है ... सरकार के समर्थन के कारण यह कम रिस्क वाला साधन है ... पेंशन देता है .. और यह काफी सुविधाजनक है।

 आपको इसमें ज्यादा कुछ नहीं करना होता है .. आप कुछ फॉर्म भरते हैं और फिर आपका HR या पे-रॉल डिपार्टमेंट सब कुछ संभाल लेता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, कोई EPF को डेट म्यूच्युअल फंड SIP के तौर पर मान सकता है . लेकिन बहुत कम रिस्क वाला और ... जिसमें कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है।

 अगर इसे अच्छी तरह से मैनेज किया जाता है, तो EPF यह सुनिश्चित कर सकता है कि आपके पास रिटायरमेंट के लिए काफी अच्छा पैसा हो। और इसी के साथ हम अपने वीडियो की समाप्ति पर आ गए हैं। 

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निष्कर्ष


उम्मीद करता हूँ कि आपको यह पोस्ट Employee Provident Fund in Hindi (Full Explained)  पसंद आया होगा और आपने इसमें दी गई जानकारी से काफी कुछ सीखा होगा  अपने दोस्तों और साथियों के साथ शेयर करना ना भूलें। 
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