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जादुई परी की कहानी और जादुई गुलाब

जादुई परी कि कहानी अगर आपने यही search किया है तो बिलकुल हम आपको जादुई परी कि कहानी बताने वाले है बस इस पोस्ट जादुई परी कि कहानी को पूरा पढ़ते रहिये जादुई परी कि कहानी के साथ जादुई गुलाब कि कहानी भिलिखी गई है है जादुई गुलाब कि कहानी में एक जादुई गुलाब है 

जादुई परी की कहानी


परी लोक की सुंदर दुनिया में बहुत सुंदर सुंदर परियां रहती थी। उनके बीच चंद्रकला नाम की एक परी थी। बहुत ही सुंदर थी। पर उसका रंग काला था। उसके काले रंग के कारण उसके साथ खेलने या कहीं बाहर आना जाना पसंद करती थी। चंद्रकला की सिर्फ एक ही सच्ची सहेली थी जिसका नाम चांदनी बाग बगीचे में बैठे थे। तभी वहां उसकी सहेली कहती है। 

चंद्रकला क्या हुआ, तुम इतनी उदास क्यों हो, चलो, कहीं घूम कर आते हैं तो मेरा भी बहुत मन कर रहा है। चंद्रकला और चांदनी दोनों रानी मां के पास जाती है और उनसे पृथ्वीलोक घूमने जाने की आज्ञा मांगती है।

जादुई परी की कहानी


 रानी मां खुशी-खुशी उन दोनों को घुमने की अनुमति देती है। आज्ञा पाकर दोनों पृथ्वीलोक पर आ जाती है और चांदनी तू देख कितना सुंदर है, हाथ रखते हैं। दोनों परिया पानी पीने लगती है। 

 चंद्रकला ने जैसे पानी पीने के लिए हाथ बढ़ाया, उसको पानी में एक अजीब सी के तेल का महसूस हुई जैसे कि उसे कोई छू रहा है, वह हटा लेती है और चांदनी से कहती है कि पानी है मुझे कुछ अजीब सा लगा है, क्यों हो तभी पीछे से आवाज आती है। कौन मेरी मदद करो कोई मेरी मदद करो

 दोनों वहा जाती है जहां से आवाज आती है और देखती है। एक राजकुमार घायल अवस्था में मदद की गुहार लगा रहा है। दोनों राजकुमार के पास जाती है और पूछती है। क्या हुआ तुम्हें, किसने तुम्हें चोट पहुंचाई। वहां से गुजर रहा था तो एक शेर ने मेरे ऊपर हमला करके घायल हो गया।

जादुई परी की कहानी


 क्या तुम हमारी मदद कर सकती हो, मुझे बहुत प्यास लगी है। क्या तुम मुझे पानी पिला सकती हो। अभी तक राजकुमार को अपनी जादुई छड़ी से पानी पिलाती है और उसके जख्म को ठीक कर देते हैं। अरे बहुत खूब तुमने तो कमाल कर दिया और अब बहुत-बहुत धन्यवाद तो नहीं लगती हो, कहां से आपको नहीं देखा?

Jadui Pari Ki Kahani
Jadui Pari Ki Kahani


 राजकुमार परियों से जाने की आज्ञा देता है और महल की ओर चला जाता है और धीरे-धीरे रात हो जाती है। तभी पर यह सोचती है कि इतनी रात हो चुकी है। हमें कहीं रुकना चाहिए। उन्हें एक घर दिखाई देता है जो खाली था और उसमें कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी चंद्रकला जाकर दरवाजे पर लगाती है।

 अंदर से बूढ़े बाबा जी बाहर आते हैं और उनसे पूछते हैं। यहां पर घूमने आए हैं। रात में रुकने की जगह नहीं मिल रही। क्या हम आपके यहां रुक सकते हैं और जोड़कर अपने जादू की छड़ी घुमाई और बाबा के बकरी और उसके बच्चों को मिला कर खड़ा कर बाबा जी बहुत खुश हो जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। बाबा अपने घर के अंदर जाते। 

जादुई परी की कहानी


जल का कमंडल लेकर बाहर आते हैं। जल के कमंडल से चंद्रकला के ऊपर कुछ पानी के छींटे मारते हैं। जैसे ही वह चंद्रकला के ऊपर पानी का छींटा डालते हैं। उसका रंग चांदनी जैसा सफेद हो गया और सुंदर दिखने लगे। यह देख तो बहुत ही खुश होती है। तुमसे कुछ तुम्हारा रंग काला पड़ गया था। इस जन्म में तुम बहुत कुछ और हो इसलिए मैंने तुम्हें उस से मुक्त कर दिया। उसने उन दोनों को देखा चंद्रकला परी को देखते ही रह गया और वह पहले से और भी ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी। मैं तुम्हें ढूंढ रहा था। 

जरूर! 
हमें भी तो महल देखना है और दोनों बढ़िया राजकुमार की गाड़ी में बैठ जाती है और महल की ओर चलती महल पहुंचकर राजकुमार ने अपने माता-पिता को चंद्रकला से मिलाया और उनके सामने ही चंद्रकला से विवाह का प्रस्ताव रखा। 

चंद्रकला बहुत में भी इस तरह राजकुमार और राजकुमारी की शादी हो जाती है। इस अवसर पर देश की बहुत सारी परिया भी उसमें शामिल होती है और चंद्र कुमार के साथ पृथ्वी लोक पर रहने लगती है। यह थी जादुई परी की कहानी

जादुई गुलाब की कहानी


 गांव में एक किसान अपने बच्चों है हिना और शाम के साथ रहता था। एक दिन अचानक बीमार हो गया। दोनों बच्चों को अपने पास बुलाया और बोला, कुछ भी नहीं जो तुम्हें दे सकूं। चार चीजों में एक गुलाब का गमला एक अंगूठी एक आटे की चक्की और यह घर जिसमें से ही ना मैं गुलाब का गमला और तुम रख लेना कि अपनी आखिरी सांस ली।

 सामने हिना को गुलाबो का गमला और अंगूठी दे दी और बाकी सब अपने पास रख, गमला और अंगूठी लेकर अपने कमरे में चली जाती है। गमले को टेबल पर रख कर अपनी मन की बातें करने लगती है। दोस्त हमारा तुम्हारे सिवा कोई नहीं है।

जादुई गुलाब की कहानी


 बात करते करते अचानक उसका ध्यान गमले की मिट्टी पर जाता है और वह कहती है, लगता है। बहुत दिनों से तुम्हें किसने पानीपत एरिया रही होती है। सामने देखती है कि बहुत सुंदर बगीचा है को देखने के लिए जाती है। महारानी बैठी थी, महारानी को देख रहे थे और वह कुछ नहीं कहूंगी। करते हुए कहा। 

तुम भी कोई बेटी नहीं, क्यों नहीं आओ हमारे पास आओ ना महारानी के पास जाती है। नाम क्या है? तुम्हारा कहां खाना खा लो, हमारे साथ जाती है और महारानी के साथ में खाने लगती है और मन ही मन सोचती है। खाना खाना तू कभी भी नहीं खाया था।

Jadui Pari Ki Kahani
Maharani



 महारानी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और खाना भी नहीं खाया। मैं आपको क्या दे सकती हूं। मेरे पास इन गुलाबों के गमले के सिवा कुछ भी नहीं है और जो मुझे बहुत ही प्यारी है मैं आपको दूंगी जरूर। 

लेकर अपने घर जाती है और घर जाकर क्या कहती है क्योंकि कमरे में गुलाबों के पौधे की जगह एक अलग ही पौधा रखा हुआ है जो कि बहुत ही मुरझाया हुआ है। यह देखो परेशान हो जाती है। 
वह अपने भाई के पास जाती है और उससे भी। नहीं तो मैंने नहीं देखा। तुमने ही कहीं रख दिया होगा, परेशान होने लगती है। 

शाम के कमरे में बहुत ठीक हो जाती है जाती है तो उसे अपना प्यारा गुलाब का पौधा दिखाई देता है। वहां तो निकालती है और अपने कमरे में लेकर जाती है। पानी डालते हुए कहती है। मैंने तुम्हारे लिए खुश रहो देखने आऊंगी मैं वहां। 

जादुई गुलाब की कहानी


छोटा सा घर है और मैं तुम्हें खुश भी नहीं रख सकती। इसलिए मैं तुम्हें उस महारानी को दे देती हूं। गुलाबो का गमला महारानी के पास बैठी महारानी मैं आपके लिए गुलाब का पौधा लेकर आई हूं। यह मेरी जान से भी ज्यादा मुझे प्यार करती हूं। महारानी को गुलाब का पौधा देखकर कुछ बीती बातें याद आ जाती है। महारानी मन ही मन कहती है जो मैंने दिया था। अपने गुलाब का पौधा बना दिया था। महारानी को जादूगर की कही बात याद। 

15 साल बाद जब तुम्हें गुलाब के पौधे को हाथ लगाओगे, राजकुमार के रूप में बदल जाएगा। महारानी अचानक गुलाब के पौधे को हिना के हाथ से लेती है। गुलाब का पौधा एक सुंदर राजकुमार के रूप में बदल जाता है। यह देश महारानी और हिना बहुत खुश हो जाते हैं।

अन्य कहानियाँ:-

 महारानी कहां से चलती है, बात को 15 साल हो चुके हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद। तुमको तुमने मेरे राजकुमार को वापस मेरे पास पहुंचा दिया है। राजकुमार पीछे से आवाज देता है। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। राजकुमार की यह बात सुनकर बहुत खुश हो जाती है और खुशी-खुशी दोनों की शादी हो जाती है। 


जादुई 
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