किसी बाग में एक चुहिया रहती थी। उसने आम के एक पेड़ के नीचे अपना बिल बनाया हुआ था। बिल में चुहिया के साथ उसके पाँच बच्चे भी रहते थे, जिनमें चार चूहे थे और एक चुहिया। पाँचों बच्चे अभी छोटे थे। वे बिल से बाहर नहीं निकलते थे। उनकी माँ रोज़ पेड़ से आम कुतर कर लाती थीं और उन्हें खिलाती थी।
धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे। बच्चों में छोटी चुहिया सबसे समझदार थी। एक दिन से बाहर जाना चाहिए और अपने भोजन की व्यवस्था खुद करनी चाहिए। माँ बेटी की समझदारी से बहुत खुश हुई। उसने पाँचों बच्चों को घर से बाहर जाने की अनुमति दे दी। पाँचों बच्चे बिल से बाहर निकलकर बहुत खुश थे। छोटी चुहिया की निगरानी में चारों भाई बाग में खेलने लगे।
छोटी चुहिया ने अपने चारों भाइयों को समझाते हुए कहा-" अभी तुम छोटे हो, इसलिए पेड़ पर चढ़ने की कोशिश मत करना। आस-पास कोई फल मिले तो खा लेना और ज्यादा दूर मत जाना।"
पाँचो बच्चे काफ़ी देर तक बाग में खेलते रहे। जब वे थक गए तो वापस अपने बिल में चले गए। आज वे बहुत खुश थे। आज उन्होंने पहली बार बाहर की दुनिया देखी थी, पहली बार स्वयं अपनी मेहनत से कतर-कुतरकर फल खाए थे। उनकी माँ भी खुश थी । अब उसे अपने बच्चों की चिंता करने की आवश्यकता नहीं थी।
पाँचों बच्चे अब रोज़ बिल से बाहर निकलकर बाग में खेलने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने पेड़ पर चढ़ना भी सीख लिया था। अब वे पेड़ पर चढ़कर ताज़े आम कुतर-कुतरकर खाते थे। लेकिन उन्हें आमों का सुख अधिक दिन तक न मिल सका। एक दिन बाग का मालिक आया और वह सारे आम तोड़कर ले गया।
पाँचों बच्चों को अब कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें भोजन की तलाश में बाग में इधर-उधर भटकना पड़ता था। कभी किसी पशु-पक्षी का जूठा भोजन मिल जाता, तो पाँचों भाई-बहन उसे बाँटकर खा लेते। कई बार उन्हें कुछ खाने को नहीं मिलता, तो भूखे ही बिल में वापस चले जाते।
एक दिन बिल में वापस जाते हुए जब छोटी चुहिया ने मुड़कर देखा, तब उसे पता चला कि उसका एक भाई गायब है। उसके साथ केवल तीन भाई थे। उसने सोचा-"चौथा भाई कहाँ गया?" छोटी चुहिया को घबराहट होने लगी। लेकिन शीघ्र ही उसने धैर्य से काम लिया। उसने अपने तीन भाइयों को बिल में जाने के लिए कहा और स्वयं अपने चौथे भाई को खोजने लगी।
Baccho Ki Kahani |
धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे। बच्चों में छोटी चुहिया सबसे समझदार थी। एक दिन से बाहर जाना चाहिए और अपने भोजन की व्यवस्था खुद करनी चाहिए। माँ बेटी की समझदारी से बहुत खुश हुई। उसने पाँचों बच्चों को घर से बाहर जाने की अनुमति दे दी। पाँचों बच्चे बिल से बाहर निकलकर बहुत खुश थे। छोटी चुहिया की निगरानी में चारों भाई बाग में खेलने लगे।
छोटी चुहिया ने अपने चारों भाइयों को समझाते हुए कहा-" अभी तुम छोटे हो, इसलिए पेड़ पर चढ़ने की कोशिश मत करना। आस-पास कोई फल मिले तो खा लेना और ज्यादा दूर मत जाना।"
पाँचो बच्चे काफ़ी देर तक बाग में खेलते रहे। जब वे थक गए तो वापस अपने बिल में चले गए। आज वे बहुत खुश थे। आज उन्होंने पहली बार बाहर की दुनिया देखी थी, पहली बार स्वयं अपनी मेहनत से कतर-कुतरकर फल खाए थे। उनकी माँ भी खुश थी । अब उसे अपने बच्चों की चिंता करने की आवश्यकता नहीं थी।
पाँचों बच्चे अब रोज़ बिल से बाहर निकलकर बाग में खेलने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने पेड़ पर चढ़ना भी सीख लिया था। अब वे पेड़ पर चढ़कर ताज़े आम कुतर-कुतरकर खाते थे। लेकिन उन्हें आमों का सुख अधिक दिन तक न मिल सका। एक दिन बाग का मालिक आया और वह सारे आम तोड़कर ले गया।
पाँचों बच्चों को अब कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें भोजन की तलाश में बाग में इधर-उधर भटकना पड़ता था। कभी किसी पशु-पक्षी का जूठा भोजन मिल जाता, तो पाँचों भाई-बहन उसे बाँटकर खा लेते। कई बार उन्हें कुछ खाने को नहीं मिलता, तो भूखे ही बिल में वापस चले जाते।
एक दिन बिल में वापस जाते हुए जब छोटी चुहिया ने मुड़कर देखा, तब उसे पता चला कि उसका एक भाई गायब है। उसके साथ केवल तीन भाई थे। उसने सोचा-"चौथा भाई कहाँ गया?" छोटी चुहिया को घबराहट होने लगी। लेकिन शीघ्र ही उसने धैर्य से काम लिया। उसने अपने तीन भाइयों को बिल में जाने के लिए कहा और स्वयं अपने चौथे भाई को खोजने लगी।
तभी उसने एक पेड़ के पीछे बिल्ली मौसी को देखा। वह बिल्ली मौसी के खतरनाक इरादों को जानती थी। उसने सोचा-उसके चौथे भाई के गायब होने में बिल्ली मौसी का हाथ हो सकता है।" तभी उसने अपने चौथे भाई को बिल्ली मौसी के साथ जाते हुए देखा। लेकिन वह डरी नहीं। उसने साहस के साथ आगे बढ़ते हुए अपने भाई को पुकारा "भाई, सुनो।"
छोटी चुहिया की आवाज़ सुनकर उसके भाई और बिल्ली मौसी दोनों ने पीछे मुड़कर देखा। छोटी चुहिया ने बिल्ली मौसी के पास जाकर विनम्रता से पूछा-"बिल्ली मौसी, मेरे भाई को लेकर कहाँ जा रही हो?",
बिल्ली मौसी ने कहा-"अपने भाई को देखो, कितना दुबला हो गया है। मैं इसे दूसरे बगीचे में ले जा रही हूँ। वहाँ पेड़ों पर बहुत आम लगे हैं।
छोटी चुहिया ने खुशी का अभिनय करते हुए कहा-"यह तो बहुत खुशी की बात है। चल भाई, हम अपने तीनों भाइयों को भी साथ लेकर आते हैं।" छोटी चुहिया ने अपने भाई का हाथ पकड़ा और तेजी से अपने बिल में चली गई।
छोटी चुहिया की आवाज़ सुनकर उसके भाई और बिल्ली मौसी दोनों ने पीछे मुड़कर देखा। छोटी चुहिया ने बिल्ली मौसी के पास जाकर विनम्रता से पूछा-"बिल्ली मौसी, मेरे भाई को लेकर कहाँ जा रही हो?",
बिल्ली मौसी ने कहा-"अपने भाई को देखो, कितना दुबला हो गया है। मैं इसे दूसरे बगीचे में ले जा रही हूँ। वहाँ पेड़ों पर बहुत आम लगे हैं।
छोटी चुहिया ने खुशी का अभिनय करते हुए कहा-"यह तो बहुत खुशी की बात है। चल भाई, हम अपने तीनों भाइयों को भी साथ लेकर आते हैं।" छोटी चुहिया ने अपने भाई का हाथ पकड़ा और तेजी से अपने बिल में चली गई।
Baccho Ki Kahani |
अपनी समझदारी और साहस के कारण आज वह अपने भाई की जान बचाने में कामयाब हो गई थी।
1. चुहिया के बच्चों में सबसे समझदार कौन था?
2. छोटी चुहिया ने अपनी माँ से क्या कहा?
3. चुहिया के बच्चे क्यों खुश थे?
4. बच्चों को आमों का सुख अधिक दिन तक क्यों न मिल सका?
5. छोटी चुहिया ने अपने भाई की जान कैसे बचाई?
यह भी पढ़ें :- पड़ोसी का धर्म - तोते और मैना की कहानी
Baccho Ki Kahani अब, आपकी बारी:-
बताइए:-
1. चुहिया के बच्चों में सबसे समझदार कौन था?
2. छोटी चुहिया ने अपनी माँ से क्या कहा?
3. चुहिया के बच्चे क्यों खुश थे?
4. बच्चों को आमों का सुख अधिक दिन तक क्यों न मिल सका?
5. छोटी चुहिया ने अपने भाई की जान कैसे बचाई?
शेर और चूहे की कहानी
एक शेर पेट खाना खाकर पेड़ के नीचे आराम कर रहा था उसी पेड़ के पास एक चूहा भी रहता था भागता भागता मस्ती में शेर के पीठ पर चढ़ गया और मस्तियां करने लगा शेर तो था जंगल का राजा को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी फिर गुस्से से उठा और उसने चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया शेर चिल्लाया उन्हें जानवर मैं तुम्हें अपने एक थप्पड़ से मार डालूंगा फिर गुस्सा होकर जोर से गिराया।
चूहा घबरा गया बोला कृपया मुझे माफ कर दीजिए मुझे जाने दीजिए मैं प्रॉमिस करता हूं मैं आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगा और 1 दिन में जरूर आपके काम आऊंगा फिर बोला इतने छोटे से चूहे हो तो मेरे को छोड़ दिया कुछ दिन बाद एक शिकारी ने जंगल में जाल बिछाया उस जाल में शेर फस गया खुद को आजाद कराने के लिए बहुत कुराया बहुत छटपटा या लेकिन वह तो जान में कुछ भी कर नहीं पा रहा था।
चूहा भी शेर की दया को भूला नहीं था शेर ने 1 दिन चूहे की जान बचा दी थी उसको मारने से छोड़ दिया भागा भागा आया और बोला महाराज चिंता नहीं करें मैं आपको अभी आजाद कर देता हूं वो जाल की रसिया कुतरने लगा शिकारी के आने से पहले चूहे ने कुछ मिनटों में जाल काट दिया था शेर ने चूहे को उसकी मदद करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद किया तो इस तरह शेर को लगाते दिखाई थी उसका बदला चूहे ने चुकाने बच्चों आज की कहानी यहीं खत्म होती है।
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