अकबर बीरबल की कहानियाँ - Hindi Stories

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अकबर बीरबल की कहानियाँ
अकबर बीरबल की कहानियाँ



अकबर बीरबल की कहानियाँ


बिना तोड़े लकड़ी छोटी



एक बार बादशाह अकबर बीरबल के साथ भाग में घूम रहे थे। हंसी मजाक चल रहा था। तभी अकबर ने अचानक जमीन पर पड़ा हुआ एक लकड़ी का टुकड़ा देखा। अकबर के मन में मजाक करने की आई। अकबर ने बीरबल को कहा कि बीरबल क्या तुम एक लकड़ी के टुकड़े को तोड़े बिना छोटा कर सकते हो? आप पढ़ रहे है अकबर बीरबल की कहानियाँ

       अकबर ने बादशाह की तरफ देखा और समझ गया कि बादशाह आज मजाक करने के मूड में है तो जैसे प्रसन्न था। बीरबल ने भी उसी तरह का जवाब देने की सूची एक किसान हाथ में एक बाँस लेकर जा रहा था। बीरबल उसके पास गया और उसका बाँस अपने दूसरे हाथ में ले लिया और लकड़ी का टुकड़ा दूसरे हाथ में अब उसने बादशाह अकबर को कहा- साहब जी आप बताइए, कौन छोटा है?

 तो अकबर ने कहा, यह लकड़ी का टुकड़ा छोटा है। तब बीरबल ने कहा देखा हो गया ना लकड़ी का टुकड़ा बिना तोड़े हुए हो गया न छोटा

 तो इस प्रकार अकबर और बीरबल कई बार हंसी मजाक भी कर लिया करते। इस कहानी से हमें। यह शिक्षा मिलती है कि अगर दिमाग से जवाब दिया जाए तो कोई भी प्रसन्न ऐसा नहीं है जिसका जवाब ना हो।







भगवान जो करता हैं - अच्छा करता हैं


बीरबल अकबर के बहुत प्रिय मंत्री थे। वह ईश्वर में विश्वास रखने वाला तथा आस्था रखने वाला एक इंसान था वह नित्य कहा करता था कि भगवान जो करते हैं, अच्छा करते हैं। वह मनुष्य के हित में होता है परंतु उसकी इसी बात से उसके साथी मंत्री गण खुश नहीं थे।

 एक दिन दरबार में एक मंत्री रोता हुआ आया और उसने कहा कि आज मेरी उंगली कट गई। क्या इस बात में भी तुम्हें कुछ अच्छा नजर आता है। क्या तुम ऐसा कहना चाहोगे कि भगवान ने अच्छा किया तो बीरबल सोचता रहा और बीरबल ने मुस्कुराकर जवाब दिया कि देखो मित्र तुम्हारे साथ अवश्य बुरा हुआ है। परंतु मैं आज भी यही कहूंगा कि ईश्वर जो करते हैं, वह हमारे भले के लिए ही करते हैं। परंतु इस बात पर सभी मंत्री गण नाराज हो गए और सभी ने। दूसरे मंत्री के सुर में सुर मिलाया कि नहीं बीरबल तुम गलत कह रहे हो? 

इस बात पर अकबर भी नाखुश थे। उन्होंने भी बीरबल से यही कहा कि बीरबल आज तो हमें भी तुम्हारी आस्था पर संदेह होने लगा है। भला मंत्री की उंगली कटने से कटने में उसका क्या है। इसमें भगवान ने किया अच्छा किया। बीरबल ने कहा महाराज! आज मेरे पास आपकी इस बात का जवाब जवाब तो नहीं है, परंतु आने वाले समय में यह सिद्ध जरूर होगा। लेकिन मेरा आज भी यही मानना है कि भगवान ने अगर ऐसा किया है तो वह ठीक ही किया होगा।

 इसी वाद विवाद में 3 महीने बीत जाते हैं। 3 महीने के बाद जब मंत्री जिसकी उंगली कटी थी वह एक शिकार पर गया हुआ होता है। शिकार करता करता वह अपना पथ भूल जाता है और कहीं दूर निकल जाता है और आदिवासियों के चुंगल में फंस जाता है। उस दिन आदिवासी किसी मनुष्य की बलि देने के लिए और अपने ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए किसी मानव की खोज कर रहे थे और उन्हें वह मंत्री मिल जाता है।

 वह मंत्री उनके चुंगल में होने की वजह से उन्हें आदिवासी लोग उसे पुजारी के पास ले जाते हैं और कहते हैं यह मानव बलि के लिए कैसा रहेगा? पुजारी जी पूजा शुरू कीजिए और इस मानव की बलि दे दीजिएगा। 

जब बली पूजा पाठ शुरू की जाती है और उस मानव की जांच की जाती है तो पाया जाता है कि उसकी उसके शरीर का एक हिस्सा कम है। मतलब की 9 उंगलियां मिलने की वजह से वह अपूर्ण शरीर वाला मानव माना जाता है और पुजारी कहता है कि अगर हम इस मानव की बलि देंगे तो हो सकता है कि हमारे ईश्वर खुश होने की बजाय। हमसे ना खुश हो जाए। 

हो सकता है कि वह हमें महामारी जैसी बीमारियों से ग्रस्त कर दें। अतः इस मनुष्य की बलि देना हमारे लिए बिल्कुल भी उचित नहीं होगा। भला यही भलाई इसी में होगा कि हम इस मनुष्य को जाने दे 

अगले ही दिन मंत्री दरबार में आता है और बीरबल के पास में जाकर रोने लगता है। तभी जहांपना अकबर भी आ जाते हैं और ऐसा दृश्य देखकर बड़े आश्चर्यचकित हो जाते हैं। अकबर मंत्री से पूछता है। अरे मंत्री तुम बीरबल के साथ गले लगकर क्यों रो रहे हो तब मंत्री बताता है। अपनी सारी कहानी कि उसके साथ बीते दिन क्या हुआ। 

यह सारी बातें सुनने के बाद में सभी मंत्री गण हैरान हो जाते हैं और एक बार फिर से वह गर्दन झुकाकर दरबार में खड़े होते हैं और अकबर मंद मंद मुस्कुराहट से सभी मंत्री गण को देख रहा होता है। और एक बार फिर से वह गर्व! दृष्टि से बीरबल को देखता है और। गर्व महसूस करते हुए सोचता है कि मेरे पास बीरबल जैसा बुद्धिमान मंत्री है।

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