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सोनू और मोनू खरगोश की कहानी

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एक किसान के खेत में दो खरगोश रहते थे। एक का नाम था सोनू और दूसरे का मोनू किसान जब भी खेत में पहुँचता, तो सबसे पहले खरगोशों के पास जाता। दोनों खरगोश भी किसान को देखते ही उसके पास दौड़े चले आते। किसान बारी-बारी से दोनों खरगोशों को हाथ में उठाता और उनकी पीठ सहलाता। उस समय दोनों खरगोश बहुत खुश होते थे।


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किसान रोज़ खरगोशों के लिए खाने की कोई-न-कोई चीज़ ले जाता था। घर की बनी नई -नई चीजें खाकर सोनू और मोनू बहुत खुश होते थे। किसान उन्हें चीजें खिलाकर अपने काम में लग जाता और वे खेत में खेलने लगते। काम के बीच किसान को जब भी फ़ुरसत मिलती, वह सोनू और मोनू के पास चला जाता।

एक दिन सोनू ने मोनू से कहा कि वह किसान के घर की चीजें खा-खाकर
थक गया है, उसका कुछ नई चीजें खाने का मन करता है। मोनू ने उसे समझाते हुए कहा-"किसान हमसे बहुत प्यार करता है, इसलिए हमें ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए। वह जो भी प्यार से देता है, हमें उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।"

" मैं किसान के प्यार को सम्मान देता हूँ," सोनू ने कहा-"लेकिन मोनू, हमें खुद भी अपने बारे में सोचना चाहिए। हम कब तक किसान के भोजन पर निर्भर रहेंगे।"


मोनू सोनू की बात नहीं समझ सका। लेकिन सोनू दूर की सचने वाला था। वह अपने मन में बाहर जाने का विचार बना चूका था । जब मोनू सो जाता था , तो सोनू बाहर निकलकर दुसरे खेत में जाता था एक दिन सोनू के आने से पहले ही मोनू जग गया । उसने जगने के बाद सोनू को सभी जगह खोजा ,  लेकिन सोनू उसे कहीं नहीं मिला।

 कुछ समय बाद उसने सोनू को खेत में आते देखा। सोनू बहुत प्रसन्न था। मोनू को उसकी प्रसन्नता का कारण समझ में नहीं आया। उसने सोनू से पूछा-"इतने खुश क्यों दिखाई दे रहे हो?"

'कोई विशेष बात नहीं है," सोनू ने कहा- "बाहर सैर करके आ रहा हूँ। तुम्हारा तो खेत से बाहर निकलने का मन ही नहीं करता।


एक दिन किसान खेत पर नहीं आया। दोपहर हो गई। मोनू भूख से व्याकुल हो रहा था। उसने सोनू से कहा-"आज किसान क्यों नहीं आया? मुझे जोर से भूख लगी है।"

" भूख तो मुझे भी लगी है," सोनू ने कहा- "चलो, खेत से बाहर निकलकर खाने की कोई चीज़ ढूँढ़ते हैं।"

"बाहर जाने की क्या ज़रूरत है," मोनू ने कहा-"किसान का इंतज़ार कर लेते हैं।"

कई घंटे बीत गए। किसान नहीं आया। मोनू अपना पेट पकड़कर बैठा हुआ था। सोनू ने उसे खेत से बाहर चलने के लिए कहा, ताकि वे खाने की कोई चीज ढूँढ़कर अपना पेट भर सकें। लेकिन मोनू ने कहा कि भूखे पेट वह दो कदम भी नहीं चल पाएगा। सोनू मोनू को वहीं छोड़कर खेत से बाहर चला गया।

कुछ समय बाद सोनू दोनों हाथों में गाजर लेकर वहाँ आया मोनू ने उससे पूछा-

"यह क्या है?"

"यह बहुत अच्छी चीज़ है," सोनू ने कहा-"एक बार खाएगा, बार-बार माँगेगा।"



मोनू को गाजर बहुत स्वादिष्ट लगी। उसके पूछने पर सोनू ने कहा-
दूसरे खेत में और भी चीज़ें मिलती हैं। लेकिन इन्हें पाने के लिए हमें स्वयं

परिश्रम करना होगा। हमें किसान के भरोसे नहीं रहना। हमें अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा, तभी हम अपनी मनपसंद चीजें प्राप्त कर सकते हैं।"

मोनू सोनू की बात समझ गया। उसने सोनू से वादा किया कि अब वह

किसी के भरोसे नहीं रहेगा और खेत से बाहर निकलकर स्वयं

अपने लिए चीजें ढूँढ़ेगा।


कहानी अब , आपकी बारी :-



बताइए:-


1. खरगोशों के लिए खाने की चीजें लेकर कौन आता था?

2. सोनू का नई चीज़ें खाने का मन क्यों कर रहा था?

3. मोनू और सोनू भूख से व्याकुल क्यों थे?

4. सोनू ने मोनू को खेत से बाहर चलने के लिए क्यों कहा?

5. सोनू कुछ समय बाद क्या लेकर आया?

6. सोनू खेत से बाहर कब चला जाता था?

7. मोनू ने सोनू से क्या वादा किया?

यह भी पढ़ें :- भोड़िये का जाल Baccho ki kahani 

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