दो तितलियाँ - फूलझरी और लालपरी की कहानी

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किसी बगीचे में दो तितलियाँ रहती थीं-फूलझरी और लालपरी। दोनों में मित्रता थी। वो दोनों रोज सुबह निकलतीं और फूलों पर मँडराने लगतीं। फूलों की सुगंध उन्हें बहुत भाती थी। वे काफ़ी देर तक फूलों के आस-पास खेलती रहतीं।


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Baccho Ki Kahani



जब उन्हें भूख लगती, तो वे अपनी-अपनी पसंद के फूल पर बैठकर उसका रस चूसने लगतीं। दोनों तितलियों का जीवन सुख से  बीत रहा था। एक दिन दोनों तितलियाँ रंग-बिरंगे फूलों के आस-पास खेल रही थीं।

तभी फूलझरी ने लालपरी से कहा-" हम कितनी भाग्यशाली हैं। हमें इतना अच्छा जीवन मिला है। हम इतने सुंदर स्थान पर रहती हैं, रंग-बिरंगे फूलों के बीच खेलती हैं, उनका मीठा-मीठा रस पीती हैं। हमारे जीवन में कोई कष्ट ही नहीं है।"

'तुम ठीक कहती हो," लालपरी ने कहा- "लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा''
हम सचमुच भाग्यशाली हैं।

तभी कुछ बच्चों ने बगीचे में प्रवेश किया और वे एक बड़ी गेंद से खेलने लगे।

लालपरी ने फूलझरी से पूछा-"ये कौन हैं? इन्हें पहले तो यहाँ नहीं देखा।'

" तुम अभी छोटी हो, इसलिए तुम्हें पता नहीं है," फूलझरी ने बताया-"ये मनुष्य के बच्चे हैं। ये कभी-कभी यहाँ खेलने के लिए आते हैं। लेकिन तुम इनसे दूर रहना, वरना तुम्हें कष्ट हो सकता है।"

फूलझरी की बात लालपरी समझ न सकी। उसे गेंद से खेलते हुए बच्चे बहुत अच्छे लग रहे थे। वह भी उनके साथ खेलना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कि फूलझरी उसे बच्चों के पास जाने नहीं देगी, इसलिए मन मारकर रह गई।

फूलझरी ने लालपरी को समझाते हुए कहा-"मैं तुम्हारी भलाई चाहती हूँ, इसलिए गलत सलाह नहीं दूँगी। बस इतना समझ लो कि हमारी दुनिया अलग है और उन बच्चों की दुनिया अलग।"

लालपरी फूलझरी से सहमत नहीं थी। उसने फूलझरी की बात नहीं मानी। एक दिन अवसर मिलते ही वह बच्चों के पास चली गई। तितली को देखकर बच्चे बहुत खुश हुए। वे उसके साथ खेलने लगे। तितली मन-ही-मन सोच रही थी-"मेरी सहेली ने मुझसे झूठ कहा था। ये बच्चे कितने अच्छे हैं। मुझे इनसे कोई खतरा नहीं है।"

कुछ समय तितली के साथ गुज़ारने के बाद बच्चे गेंद से खेलने लगे। तभी लालपरी ने देखा कि एक छोटा बच्चा नीचे बैठा किताब पढ़ रहा है। लालपरी उसके पास चली गई। लालपरी को देखकर छोटा बच्चा बहुत खुश हुआ। वह भी लालपरी के साथ खेलने लगा। अचानक उसने लाल परी के पंख पकड़ लिए लालपरी दर्द से झट पटाने लगी

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बच्चों की कहानी 


लेकिन छोटे बच्चे ने उसे नहीं छोड़ा अब लाल परी सोच रही थी मेरी सहेली ने सच ही कहा था। मैने अपनी मनमानी करके अच्छा नहीं किया। हमें दूसरों की अच्छी सलाह मान लेनी चाहिए और अपनी मनमानी नहीं करनी
चाहिए।"

अचानक लालपरी का दम घुटने लगा। छोटा बच्चा उसे अपनी किताब में बंद कर रहा था। लालपरी अपनी जान बचाने के लिए छटपटा रही थी। अगले ही पल उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया।

बच्चों की कहानी अब, आपकी बारी :-


बताइए:-

1. तितलियाँ भूख लगने पर क्या करती थीं?

2. फूलझरी ने बच्चों के विषय में क्या बताया?

3. फूलझरी ने लालपरी को समझाते हुए क्या कहा?

4. एक दिन अवसर मिलने पर लालपरी कहाँ चली गई?

5. छोटे बच्चे द्वारा पकड़े जाने पर लालपरी ने क्या सोचा?

6. लालपरी का दम क्यों घुटने लगा?

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