कालू घोड़े की कहानी - Baccho ki kahani - 1

Admin-D

काले घोड़े की कहानी:-

किसी गाँव के एक अस्तबल में अनेक घोड़े थे। गाँव का ज़मींदार लखनपाल इन घोड़ों का मालिक था। उसने अस्तबल की देखभाल के लिए एक रखवाला रखा हुआ था। रखवाला दिन-रात अस्तबल में ही रहता था। वह बहुतमेहनती था। वह दोपहर को दो घंटे विश्राम करता था। इस समय वह घोड़ों को पास के एक मैदान में छोड़ देता था।

मैदान में घोड़े बहुत खुश होते थे। वे वहाँ पूरी आज़ादी से दौड़ लगाते थे। घोड़ों के चार बच्चे थे। उन चार बच्चों में एक सबसे शक्तिशाली था। उसकी टॉगें बहुत मज़बूत थीं। मैदान में खेलते हुए वह बाकी तीनों बच्चों को हरा देता था। लेकिन उसे अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था।


वह सभी को चुनौती देते हुए कहता था-"में हूँ कालू घोड़ा। मुझे कोई नहीं हरा सकता।"



कालू के माता-पिता जानते थे कि उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड है। वह जोश में लंबी दौड़ लगाता है और कई बार को मैदान से बाहर भी निकल जाता है। वे रोज़ कालू समझाते थे कि उसे मैदान से बाहर नहीं जाना चाहिए। मैदान के पास एक तालाब था, जिसमें एक मगरमच्छ रहता था। कालू के माता-पिता उसे तालाब के पास जाने से भी रोकते थे।

एक दिन दोपहर को मैदान में खेलते हुए सब घोड़े थक गए। वे बैठकर विश्राम करने लगे। चारों बच्चे भी बैठे हुए थे। अचानक कालू उठकर मैदान में दौड़ने लगा। सब उसका उत्साह देखकर खुश हो रहे थे। तभी कालू तेज़ दौड़ते हुए मैदान से बाहर चला गया। सबने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, पर उसने किसी की बात नहीं मानी।

अपनी ताकत के घमंड में चूर कालू दौड़ते हुए तालाब पर पहुँच गया। वह तालाब की सुंदरता देखकर बहुत खुश हुआ। उसने सोचा-"उसके माता-पिता उसे इतने सुंदर तालाब के पास आने से क्यों रोकते थे? यहाँ तो कितना आनंद आ रहा है। अगर इस तालाब में नहाया जाए कितना आनंद आएगा।"

उधर कालू के माता-पिता को उसकी चिंता सता रही थी वे भी कालू के पीछे-पीछे दौड़ते हुए तालाब तक पहुँच गए। कालू तालाब में स्नान करने के लिए उतावला हो रहा था। उसके माता-पिता ने उसकी इस इच्छा को भाँप लिया। उन्होंने उसे रोकते हुए ऊँचे स्वर में कहा-"नहीं बेटा, तालाब में मत जाना। वहाँ खतरा है।"

कालू ने अपने माता-पिता की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया। उसने एक लंबी छलाँग लगाई और वह तालाब में गोते लगाने लगा। 


Baccho ki kahani
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तभी मगरमच्छ ने उस पर हमला कर दिया। उसने कालू की गर्दन  को अपने जबड़े में जकड़ लिया। कालू अपनी जान बचाने के लिए छटपटाने लगा। उसके माता-पिता तालाब के किनारे बेबस खड़े हुए थे। कालू सोच रहा था-" अपने माता-पिता की बात न मानकर मैंने कितनी बड़ी भूल की है। अपनी ताकत पर घमंड होने के कारण ही आज मुझे अपनी जान गँवानी पड़ रही है।"

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बताइए:-


1. अस्तबल की देखभाल कौन करता था?

2. मैदान में जाकर घोड़े क्यों खुश होते थे?

3. कालू के माता-पिता उसके बारे में क्या जानते थे?

4. कालू के माता-पिता उसे तालाब के पास जाने से क्यों मना करते थे?

5. तालाब पर पहुँचकर कालू ने क्या सोचा?

6. कालू के माता-पिता ने उसे क्या चेतावनी दी?

7. कालू किस बात के लिए उतावला हो रहा था?

8. अंत समय में कालू क्या सोच रहा था?

9. इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?



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