शनि की दृष्टि कब होती है खतरनाक? कब फायदेमंद?

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दृष्टि (Aspect) का विशेष महत्व है। किसी ग्रह की दृष्टि का अर्थ है उसकी ऊर्जा का उस घर या राशि पर पड़ना, जहां वह देख रहा होता है। शनि की दृष्टि को विशेष रूप से गंभीर और प्रभावशाली माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां, सबक और स्थायित्व लाने का कार्य करती है।

Shani ki drishti

शनि, जो कर्म, अनुशासन और न्याय का ग्रह है, अपनी दृष्टि से जातक को इन विषयों पर काम करने के लिए प्रेरित करता है। शनि की दृष्टि को आमतौर पर धीमी लेकिन गहरी समझाने वाली माना जाता है।


शनि की दृष्टि: कौन-कौन सी होती हैं?

शनि के पास तीन विशेष दृष्टियां होती हैं:

  1. तीसरी दृष्टि (3rd Aspect): यह शनि के स्थान से तीसरे घर पर पड़ती है।
    • प्रभाव: यह साहस, संवाद कौशल और छोटे भाई-बहनों पर असर डालती है।
  2. सातवीं दृष्टि (7th Aspect): यह शनि के स्थान से सातवें घर पर पड़ती है।
    • प्रभाव: यह साझेदारी, विवाह और सार्वजनिक जीवन को प्रभावित करती है।
  3. दसवीं दृष्टि (10th Aspect): यह शनि के स्थान से दसवें घर पर पड़ती है।
    • प्रभाव: यह व्यक्ति के पेशे, करियर और सामाजिक स्थिति को नियंत्रित करती है।
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शनि की दृष्टि कब होती है खतरनाक?

शनि की दृष्टि तब खतरनाक मानी जाती है जब:

  1. शनि अशुभ स्थिति में हो:
    • जब शनि नीच राशि (मेष) में हो।
    • यदि शनि पर राहु, केतु या मंगल का प्रभाव हो।
    • जब शनि को अन्य शुभ ग्रहों का समर्थन न मिले।
  2. पाप ग्रहों के साथ हो:
    • शनि के साथ राहु या केतु होने से दृष्टि के परिणाम कठोर और जटिल हो सकते हैं।
  3. अशुभ भावों पर दृष्टि:
    • यदि शनि की दृष्टि 6, 8 या 12वें भाव पर पड़ रही हो, तो यह समस्याएं बढ़ा सकती है।
    • इससे ऋण, दुर्घटनाएं और शत्रुओं का प्रभाव बढ़ सकता है।

शनि की दृष्टि कब होती है फायदेमंद?

शनि की दृष्टि फायदेमंद होती है जब:

  1. शनि शुभ स्थिति में हो:
    • शनि उच्च राशि (तुला) में हो।
    • मित्र ग्रहों (बुध, शुक्र) के साथ हो।
  2. शुभ भावों पर दृष्टि:
    • यदि शनि की दृष्टि 2, 7, 10 या 11वें भाव पर हो, तो यह धन, करियर और रिश्तों में स्थिरता लाती है।
  3. ग्रहों का सहयोग:
    • जब शनि को बृहस्पति, शुक्र जैसे ग्रहों का समर्थन मिलता है, तो यह दीर्घकालिक लाभ देता है।
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शनि की दृष्टि के प्रभाव के मुख्य पहलू

  1. तीसरी दृष्टि:
    • सकारात्मक: साहस, परिश्रम और संवाद कौशल में सुधार।
    • नकारात्मक: छोटी यात्राओं और भाई-बहनों में कठिनाइयां।
  2. सातवीं दृष्टि:
    • सकारात्मक: साझेदारी में स्थायित्व और दीर्घकालिक संबंध।
    • नकारात्मक: वैवाहिक जीवन में तनाव और देरी।
  3. दसवीं दृष्टि:
    • सकारात्मक: करियर में दीर्घकालिक स्थिरता और सफलता।
    • नकारात्मक: कार्यस्थल पर चुनौतियां और संघर्ष।

उपाय: शनि की अशुभ दृष्टि का निवारण

  1. शनिवार को शनि देव की पूजा करें।
  2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  3. जरूरतमंदों को काले तिल, सरसों का तेल और लोहे का दान करें।
  4. शनि मंत्र (“ॐ शं शनैश्चराय नमः”) का जाप करें।
  5. शनि के उपाय के लिए नीलम धारण करें (कुंडली के अनुसार)।

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विद्या शर्मा की सलाह

शनि की दृष्टि को खतरनाक या फायदेमंद बनाना जातक की कुंडली पर निर्भर करता है। यह दृष्टि आपको कठिन परिस्थितियों में मजबूती से खड़ा होना सिखाती है। सही उपाय और शनि के सबक को अपनाकर आप इसके सकारात्मक प्रभावों को बढ़ा सकते हैं।

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