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Showing posts from October, 2022

डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवन परिचय

Dr Bhimrao Ambedkar Jeevan Parichay in hindi डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी थे। उनका पूरा जीवन दलितों के उत्थान के संघर्ष और समाज सुधार के कार्य में लगा। वे अपने जीवन और काम से सामाजिक रूढ़िवाद, जाति व्यवस्था और छुआछूत को खत्म करने के लिए जीवन भर काम करते रहे हैं।  वह सैम-सोसाइटी के प्रेरक थे। उन्होंने भारतीय संविधान के प्रारूपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, उन्हें भारतीय संविधान का संरक्षक कहा जाता है। Dr Bhimrao Ambedkar Jeevan Parichay डॉ बीआर अंबेडकर की जीवनी- भीमराव अम्बेडकर निबंध डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। इंदौर के पास महू छावनी एक अछूत महार जाति मानी जाती थी। महार परिवार में उनके पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम श्रीमती भीमाबाई है। रामजी सकपाल कबीर के अनुयायी थे, इसलिए उनके मन में जाति का कोई स्थान नहीं था। उनके पैतृक गांव का नाम अंबाबडे था। इसलिए उन्होंने अपने नाम के साथ 'अम्बेडकर' की उपाधि धारण की। भीमराव अपने पिता की 14वीं संतान थे, जिनमें से 9 की मृत्यु हो गई और केवल 5 जीवित रहे। डॉ. भीमरा

राजा राव तुलाराम कौन हैं ? राव तुलाराम का इतिहास

राजा राव तुलाराम कौन हैं ? Rav Tularam Kaun Hai? राव तुलाराम का जन्म 9 दिसम्बर 1825 ई० को गाँव रामपुरा, रेवाड़ी में राव पूर्ण सिंह के घर हुआ। इनकी माता का नाम ज्ञान कौर था। इनकी दो बड़ी बहनें कौर तथा रतन कौर थीं। 1989 में जब इनकी आयु 14 वर्ष की थी तो तब इनके पिता का देहान्त हो गया। एक वीरांगना की भाँति रानी ज्ञान कौर ने राव तुलाराम को भारत का वीर सपूत बनाया।  राव तुलाराम का जन्म कहाँ हुआ? हरियाणा के दक्षिणी छोर पर राजस्थान की सीमा के पास रेवाड़ी नगर स्थित है।  इनका जन्म रेवाड़ी में हुआ था  ।  राव तुलाराम का इतिहास - ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध स्वतन्त्रता का बिगुल बजाने वाले शूरवीरों में हरियाणा के राजा राव तुलाराम का नाम भी प्रसिद्ध है। वे आजादी के मसीहा और भारत के गौरव के रूप में जाने जाते हैं। साहस और दृढ़ता की प्रतिमूर्ति इस फौलादी युग-पुरुष का व्यक्तित्व निराला था।  अंग्रेज भारतीय जनता पर घोर अत्याचार कर रहे थे और भारतीय जनता अन्दर-ही-अन्दर इसका बदला लेने की तैयारी कर रही थी। 10 मई, 1857 को भारतीय सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूसों के विरुद्ध मेरठ में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का

उधमी राम नंबरदार - 1857 का गुमनाम योद्धा

उधमी राम नंबरदार कौन थे? Udmi Ram Numberdar - शेरशाह सूरी मार्ग से सोनीपत जाते हुए गाँव लिबासपुर आता है। उधमी राम नंबरदार इसी गाँव का नवयुवक था। सन् 1857 की क्रांति के समय उधमी राम ने गाँव के कुछ युवकों का एक संगठन बना रखा था, जो अंग्रेज़ सैनिक दिल्ली से भागकर इधर से जाते थे। ये उन पर आक्रमण करके उन्हें मार डालते थे। एक दिन एक अंग्रेज़ अपनी पत्नी के साथ दिल्ली से पानीपत जा रहा था। जब वह लिबासपुर के निकट आया तो इन युवकों ने उसको पकड़कर मार डाला, परंतु उसकी पत्नी को बहालगढ़ में रहने वाली बाई की देख-रेख में सौंप दिया। Udmi Ram Numberdar  इस घटना का समाचार आस-पास के सभी गाँवों में फैल गया और समाचार जानने के लिए लोग लिबासपुर आने लगे। इन लोगों में राठधाना गाँव का रहने वाला सीताराम भी था। वह बहालगढ़ गाँव में पहुँचा जहाँ अंग्रेज़ स्त्री बाई के पास रह रही थी। इस स्त्री के साथ सीताराम और बाई ने गुप्त मंत्रणा की। उस अंग्रेज़ स्त्री ने इनको वचन दिया यदि वे उसे सुरक्षित पानीपत में अंग्रेज़ सेना के कैंप में पहुँचा देंगे तो वह इन्हें बहुत सारी संपत्ति इनाम में दिलवाएगी।  इन दोनों ने सवारी का प्रबंध