मेंढक और मेंढकी की कहानी - Ganesh Ji Ki Kahani

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बच्चों राजकुमारी परियों की कहानियां अपने बहुत सुनी होगी लेकिन कभी मेंढक और मेंढकी की कहानी सुनी है तो आज हम आपको सुनाएंगे मेंढक और मेंढक की कहानी। तो चलो शुरू करते हैं एक बार एक मेंढक और उसकी पत्नी मेंढकी की कुए के अंदर पानी में खेल रहे थे। तभी कुए पर एक पनिहारी आई। 


mendak aur mendki की कहानी



और उसने पानी अपनी मटकी में भरा और अपने घर चली गई परंतु हुआ क्या? हुआ क्या कि उसकी मटकी में मेंढक और मेडकी दोनों आ गई अब  मेंढकी का स्वभाव क्या था कि वह हमेशा गणेश जी की पूजा करती रहती थी। हमेशा बोलती रहती थी। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा लेकिन उसके इस स्वभाव से मेंढक को बड़ा गुस्सा आता था वह हमेशा कहता था कि हमेशा उस सूंड वाले का नाम लेती रहती हो कभी मेरा नाम तो लेती ही नहीं और कभी-कभी खूब जमकर झगड़ा करता था।

 अब क्या होता है कि जो पनिहारी उनको अपनी मटकी में भरकर ले गई थी पानी के साथ में वह अपने घर जाती है और चूल्हे पर पानी गरम करने के लिए रखती है तो उस पानी को वह किसी गर्म करने वाले बर्तन में पलट देती है और आग पर रख देती है। अब जैसे ही आग की तपन बढ़ती है तो मेंढक अपनी पत्नी मटकी से बोलता है और मेंढकी कि मैं तो जल रहा हूं नीचे से।

 तो वह कहती है अच्छा मैं तो नहीं जल रही, अच्छा नहीं जल रही और मेंढकी गणेश जी का नाम लेना शुरु कर देती है। क्या बोलती है? जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा। मेंढक थोड़ी देर इंतजार करके फिर बोलता है मेंढकी मैं तो चल रहा हूं तो मेंढकी  कहती है। मैं तो नहीं जल रही चलो आप ऐसा करो मेरी जगह पर आ जाओ मैं आपकी जगह पर आ जाती हूं तो मेंढ़क कहता है ठीक है मेंढकी फिर गाना गाना शुरू कर देती है। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

 मेंढ़क फिर कहता है। अरे मेंढकी मैं तो फिर जलने लग गया तो मेंडकी कहती है पता नहीं तुम्हारे साथ में क्या होता तुम बार-बार जलने लग जाते हो ऐसा करो कि तुम भी गणेश जी का नाम लेना शुरू कर दो। क्योंकि मेरे  नीचे तो बिल्कुल भी आग नहीं चल रही तो वह कहता है। मैं तो नहीं लेता हूं सूंड वाले नाम तू ही ले उसका नाम मैं तो नहीं लूंगा तो वह कहती है ठीक है तुम्हारी मर्जी मैं भी फिर दोबारा शुरू कर देती है। जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा। 

मेंढ़क को ऐसा एहसास होता है कि गणेश जी की आरती बोलने से मेंढकी को तो कोई आग का असर नहीं हो रहा लेकिन मैं तो जल रहा हूं तो क्या करता है? मेंढक भी शुरू कर देता है। गणेश जी का नाम लेना तो दोनों के दोनों मटकी के अंदर क्या बोलते हैं गणेश जी की आरती बोलना शुरू कर देते हैं और यह सारी कहानी गणेश जी कहीं पर बैठे आराम से सुन रहे हो तैयार तो गणेश जी को उन पर तरस आ जाता है और क्या करते हैं गणेश जी बछड़े का रूप धारण करके आते हैं और उस बर्तन में लात मार देते हैं। 

 जिससे कि क्या होता है सारा पानी गिर जाता है मेंढक और मेडकी दोनों की दोनों बाहर आ जाते हैं और कुएं में कूद जाते हैं। अब क्या हुआ मेंढक और मेडकी दोनों बच गई जलने से बच गए 

बच्चों हमे इस कहानी से शिक्षा मिलती है हमें कि हमें हमेशा भगवान जी पर विश्वास करना चाहिए। धन्यवाद!



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