बच्चों की 5 मजेदार कहानियाँ (Hindi Stories) - बिल्ली, तोता , खरगोश, चिड़िया और और बन्दर की कहानियाँ
किसी गाँव में एक चितकबरी बिल्ली रहती थी। सब जानवर उसे प्यार से बिल्ली
मौसी कहते थे। एक दिन बिल्ली मौसी घूमने निकली। वह जिस भी रास्ते से
गुज़रती, उसे देखकर चूहे इधर-उधर छिप जाते। चूहों को इधर-उधर दौड़ते देखकर
बिल्ली मौसी बहुत खुश हो रही थी।
एक चौराहे पर तीन कुत्ते बैठे हुए थे। जब बिल्ली मौसी वहाँ पहुँची, तो
वह कुत्तों को देखकर डर गई। उसने कुत्तों से बचने की कोशिश की,
लेकिन तभी कुत्तों ने उसे देख लिया।
तीनों कुत्ते पूँछ हिलाते
खड़े हो गए।
पहले कुत्ते ने कहा
" आज हमलोग बिल्ली
मौसी को सबक
सिखाएँगे।" दूसरे
कुत्ते ने बिल्ली
से कहा-"कहो
बिल्ली मौसी,
कहाँ घूमने जा
रही हो?"
तीसरे कुत्ते
ने कहा-"चूहे
खा-खाकर
बहुत मोटी
हो गई हो!"
पहले कुत्ते ने
कहा-"बिल्ली मौसी,
चूहों के साथ बहुत खेलती
हो, हमारे साथ भी खेलो। "
बिल्ली मौसी कुत्तों से बचने का उपाय सोचने लगी। उसने कहा-"मैं तुम तीनों
के साथ दौड़ लगा सकती हूँ। क्या तुम तीनों तैयार हो?" तीनों कुत्ते दौड़ में भाग
लेने के लिए तैयार हो गए। दौड़ शुरू हुई। तीनों कुत्तों के साथ बिल्ली मौसी भी
दौड़ने लगी। तीनों कुत्ते आगे निकल गए। बिल्ली मौसी पीछे रह गई। तभी बिल्ली
को एक पेड़ दिखाई दिया। वह दौड़कर पेड़ पर चढ़ गई। आगे जाकर तीनों कुत्तों
ने इधर-उधर देखा, लेकिन उन्हें बिल्ली कहीं नज़र नहीं आई।
कृत्ते ' भौं-भौं' करते हुए चारों ओर बिल्ली मौसी को ढूँढ़ रहे थे उधर पेड़ पर
छिपकर बैठी बिल्ली मन-ही-मन
कह रही थी-" मैं बिल्ली
मौसी हूँ, आसानी से
किसी के हाथ नहीं आती
1. बिल्ली मौसी कहाँ रहती थी?
2. बिल्ली को देखकर कौन इधर-उधर छिप जाते थे?
3. चौराहे पर कौन बैठा हुआ था?
4. बिल्ली किसे देखकर डर गई?
5. कुत्तों से बचने के लिए बिल्ली ने क्या किया?
किसी जंगल में अमरूद के पेड़ पर एक तोता रहता था। उसका एक मित्र
था-खरगोश। खरगोश ने पेड़ के नीचे ही अपना घर बनाया हुआ था। तोता रोज़
खरगोश को ताज़े-ताज़े अमरूद देता था। लेकिन अमरूद खा-खाकर खरगोश का
मन भर गया था।
एक दिन खरगोश ने तोते से कहा-
मुझे अमरूद अच्छे नहीं लगते। मैं नई-नई
चीजें खाना चाहता हूँ।"
तोते ने कहा-"ठीक है मित्र,
तुम्हारे लिए कोई नई चीज़ लेकर
आऊँगा।"
दूसरे दिन तोता खरगोश के लिए
एक गाजर लेकर आया। खरगोश
को गाजर बहुत अच्छी लगी। उसने
तोते से कहा-"यह गाजर तो बहुत
अच्छी है। अब मैं रोज़ गाजर ही
खाया करूँगा।"
"इसके लिए तुम्हें रोज़ खेत में जाना पड़ेगा," तोते ने कहा-" मैं अपनी छोटी-सी
चोंच में इतनी बड़ी गाजर नहीं ला सकता।"
दोपहर बाद खरगोश गाजर ढूँढ़ने के लिए खेत में चला गया| परंतु उसे कहीं
भी गाजर नज़र नहीं आई। वह निराश होकर वापस आ रहा था, तभी उसने एक
खेत में मिर्च के पौधे देखे।
उन पर लटकी लाल-लाल मिर्च देखकर खरगोश ने
मन-ही-मन कहा-"तोता तो बड़ी गाजर ले गया था, यहाँ तो छोटी-छोटी गाजर
लगी हैं। लेकिन कोई बात नहीं, मैं छोटी गाजर ही तोड़ लेता हूँ।"
खरगोश चार-पाँच लाल मिर्च तोड़कर अपने घर ले गया। तोता खरगोश के हाथ
में लाल मिर्च देखते ही बोला-"इन्हें मत खाना। ये गाजर नहीं हैं।"
" थोड़ी छोटी ही तो हैं। मैं इतनी मेहनत से लाया हूँ; मैं तो इसे जरूर खाऊँगा,
यह कहकर खरगोश ने एक लाल मिर्च अपने मुँह में रख ली। उसने जैसे ही दाँतों
से मिर्च को दबाया, वह मिर्च की जलन से चीखने लगा।
"ये गाजर नहीं लाल मिर्च हैं," तोते ने कहा-" जाओं, तालाब पर जाकर पानी
पी लो।"
खरगोश दौड़ता हुआ तालाब पर
पहुँचा। वह बार-बार पानी
पी रहा था, पर उसके
मुँह की जलन कम
नहीं हो रही थी।
1 तोते का मित्र कौन था?
2. क्या खाकर खरगोश का मन भर गया था?
3. दूसरे दिन तोता खरगोश के लिए क्या लेकर आया?
4. गाजर ढूँढ़ने के लिए खरगोश कहाँ गया?
5, खरगोश क्या तोड़कर अपने घर ले गया?
चिंकी नाम की एक चिड़िया थी। वह अपने परिवार से बिछड़ गई थी। खुले
आसमान में उसने दूर-दूर तक उड़ान भरी, परंतु उसे कोई भी अपना नज़र नहीं
आया। प्यास से उसका गला सूख रहा था। तभी उसे एक तालाब दिखाई दिया।
चिकी ने तालाब पर जाकर पानी पिया। वह बहुत थकी हुई थी। उसे अपने
परिवार से बिछड़ने का दुख भी था। वह निराश होकर सोचने लगी
कि अब वह कभी अपने परिवार से नहीं मिल
पाएगी। तभी एक कबूतर तालाब पर
आया। उसने चिंकी को दुखी
देखकर पूछा-"तुम
दुखी क्यों हो?
क्या मैं तुम्हारी
कोई मदद कर
सकता हूँ?"
चिंकी ने कबूतर
को
सब
सच
बता दिया। चिंकी
की कहानी सुनकर
कबूतर को भी दुख
हुआ।
उसने चिंकी
का हौसला बढ़ाते हुए
कहा-"चिंता मत करो।
तुम्हारा परिवार मिल जाएगा। "
कबूतर पास के ही एक पेड़ पर
अपने परिवार के साथ रहता था। वह
चिकी को अपने परिवार से मिलाने ले गया। कबूतर
के परिवार के सभी सदस्य चिकी से मिलकर बहुत खुश
हुए। लेकिन जब उन्हें चिंकी की कहानी पता चली तो वे
दुखी हो गए। सबने मिलकर चिंकी के परिवार को ढूँढ़ने
का फ़ैसला किया।
चिंकी थकी हुई थी, इसलिए कबूतर ने उसे आराम करने
के लिए कहा। चिंकी के परिवार को ढूँढने के लिए सारे
कबूतर अलग- अलग दिशाओं में निकल गए। कबूतरों के
अच्छे व्यवहार से चिंकी बहुत खुश थी। अब उसे उम्मीद
थी कि वह जल्द ही अपने परिवार से मिल पाएगी।
एक घंटे बाद चिकी ने देखा कि सारे कबूतर वापस आ रहे हैं। उनके साथ
चिंकी का परिवार भी था।
अपने परिवार
को देखकर चिकी बहुत खुश हुई। उसके
परिवार के सब सदस्य भी बहुत खुश
थे। पास आकर कबूतर ने चहकते
हुए कहा-"आज से हम दोनों
परिवार मिल-जुलकर रहेंगे और
सुख-दुख में एक-दूसरे
की मदद करेंगे।
1. चिकी दुखी क्यों थी?
2. कबूतर कहाँ रहता था?
3. चिंकी से मिलकर कौन बहुत खुश हुए?
4. कबूतर ने चिंकी को आराम करने के लिए क्यों कहा?
5. किसे देखकर चिंकी बहुत खुश हुई?
किसी जंगल में दो बकरियाँ रहती थीं। एक का नाम काली था और दूसरी का
भूरी। काली बहुत जल्दबाज़ थी। उसमें धैर्य की कमी थी। लेकिन भूरी बिना
सोचे-समझे कोई काम नहीं करती थी।
काली और भूरी रोज़ साथ-साथ मैदान में घास चरने जाती थीं | मैदान के पास ही
एक नदी बहती थी। दोनों बकरियाँ पेट भरने के बाद
नदी पर पानी पीने जाती थीं। एक दिन
दोनों बकरियाँ नदी की तरफ़
जा रही थीं। तभी भूरी ने
देखा कि नदी के पास
एक भेड़िया खड़ा
हुआ है। भूरी ने काली से कहा-वहाँ तो भेड़िया है। चल, हम तालाव एर
चलते हैं।
" तालाब तो दूर है,
काली ने
कहा-"मुझे तेज़ प्यास लगी है। मैं
तो नदी पर ही जाऊँगी।"
"नदी पर जाओगी, तो भेड़िया
तुम्हे मार डालेगा," भूरी
ने काली को समझाते
हुए कहा-"मेरी बात
मानो और वापस
चला।
काली ने भूरी की बात नहीं मानी। उसने कहा-" मैं भंड़िये से डरती नहीं
तालाब का गंदा पानी मुझे अच्छा नहीं लगता। मैं तो नदी पर जा रही।
काली नदी की तरफ़ बढ़ गई और भूरी वापस चली गई। जैसे ही काली नदी पर
पहुँची, भेडिये ने उसे देख लिया। वह एक पेड़ के पीछे छिप गया। जब काली
पानी पीकर वापस मुड़ी, भेड़िये ने उस पर हमला कर दिया। भेडिया काली से
ज्यादा ताकतवर था। उसने काली को मार दिया।
उधर भूरी अपनी बुद्धिमानी से
अपने प्राण बचाने में कामयाब
हो गई थी। उसने तालाब
पर पानी पिया और अपने
घर चली गई।
1. काली में किस बात की कमी थी?
2, काली और भूरी रोज़ कहाँ जाती थीं?
3. भूरी ने काली से तालाब पर चलने के लिए क्यों कहा?
4. किसने काली पर हमला कर दिया?
5. भूरी कैसे अपने प्राण बचाने में कामयाब हो गई थी?
टीटू बदर बहुत नटखट था। जंगल के सारे पशु-पक्षी उसकी शरारतों से परेशान
रहते थे। वह पेड़ की टहनी पर लटक कर झूला झूलता था, जिससे पेड़ पर आराम
कर रहे पक्षियों के बच्चे रोने लगते थे। वह कभी हाथी की पीठ पर चढ़कर नाचने
लगता, कभी हिरन
को 'खो-खो
करके
डरा देता।
एक दिन हाथी ने टीटू को
समझाते हुए कहा-"देखो बेटा,
ज्यादा शरारतें करना अच्छी बात
नहीं है। तुम्हारी शरारतों से दूसरों को
परेशानी होती है।"
"मैं तो किसी को परेशान नहीं करता, " टीटू ने भोला बनने का अभिनय करमे
हुए कहा।
" मेरा फ़र्ज़ है तुम्हें समझाना, " हाथी ने
कहा-"मेरी बात पर ध्यान नहीं दोगे
तो किसी दिन मुसीबत में फँस
जाओगे।"
टीटू ने सचमुच हाथी की बात
पर ध्यान नहीं दिया। वह
पहले की तरह शरारतें
करता रहा। पास ही
एक तालाब
था। एक दिन टीटू कूदता हुआ तालाब पर पहुँच गया। वहाँ रेत पर एक मगरमच्छ
लेटा हुआ था। उसकी पीठ पर मक्खियाँ भिनभिना रही थीं।
टीट ने मगरमच्छ से कहा-"इतने ताकतवर हो, इन मक्खियों को नहीं
सकते?"
मगरमच्छ चुपचाप लेटा रहा। उसने टीटू को कोई उत्तर नहीं दिया। टीटू को एक
शरारत सूझी। उसने मगरमच्छ से कहा-"मगर भाई, आप कहें तो मैं इन मक्खियों
को उड़ा देँ?"
"ठीक है, उड़ा दो," मगरमच्छ ने कहा।
टीटू मगरमच्छ की पीठ पर चढ़ गया और
मक्खियाँ उड़ाने के बहाने नाचने लगा।
मगरमच्छ को गुस्सा आ गया।
उसने
टीटू की पूँछ काट ली। टीटू अपनी
जान बचाकर भागा। उस दिन के
बाद जंगल में सब पशु-पक्षी टीटू
को 'पूँछकटा' कहकर चिढ़ने
लगे।
1. जंगल के पशु-पक्षी किससे परेशान रहते थे?
2. टीटू बंदर हिरन को कैसे डराता था?
3. रेत पर कौन लेटा हुआ था?
4. मगरमच्छ की पीठ पर चढ़कर टीटू ने क्या किया?
5. मगरमच्छ ने गुस्से में टीटू के साथ क्या किया?
आज आपने पढ़ी बच्चों की मजेदार कहानियाँ और अधिक कहानियाँ पढने के लिये यहा क्लिक करे
क्लिक Here
चितकबरी बिल्ली की हिंदी स्टोरीज
Billi Ki Kahani |
किसी गाँव में एक चितकबरी बिल्ली रहती थी। सब जानवर उसे प्यार से बिल्ली
मौसी कहते थे। एक दिन बिल्ली मौसी घूमने निकली। वह जिस भी रास्ते से
गुज़रती, उसे देखकर चूहे इधर-उधर छिप जाते। चूहों को इधर-उधर दौड़ते देखकर
बिल्ली मौसी बहुत खुश हो रही थी।
एक चौराहे पर तीन कुत्ते बैठे हुए थे। जब बिल्ली मौसी वहाँ पहुँची, तो
वह कुत्तों को देखकर डर गई। उसने कुत्तों से बचने की कोशिश की,
लेकिन तभी कुत्तों ने उसे देख लिया।
तीनों कुत्ते पूँछ हिलाते
खड़े हो गए।
Billi ki kahani |
" आज हमलोग बिल्ली
मौसी को सबक
सिखाएँगे।" दूसरे
कुत्ते ने बिल्ली
से कहा-"कहो
बिल्ली मौसी,
कहाँ घूमने जा
रही हो?"
तीसरे कुत्ते
ने कहा-"चूहे
खा-खाकर
बहुत मोटी
हो गई हो!"
पहले कुत्ते ने
कहा-"बिल्ली मौसी,
चूहों के साथ बहुत खेलती
हो, हमारे साथ भी खेलो। "
बिल्ली मौसी कुत्तों से बचने का उपाय सोचने लगी। उसने कहा-"मैं तुम तीनों
के साथ दौड़ लगा सकती हूँ। क्या तुम तीनों तैयार हो?" तीनों कुत्ते दौड़ में भाग
लेने के लिए तैयार हो गए। दौड़ शुरू हुई। तीनों कुत्तों के साथ बिल्ली मौसी भी
दौड़ने लगी। तीनों कुत्ते आगे निकल गए। बिल्ली मौसी पीछे रह गई। तभी बिल्ली
को एक पेड़ दिखाई दिया। वह दौड़कर पेड़ पर चढ़ गई। आगे जाकर तीनों कुत्तों
ने इधर-उधर देखा, लेकिन उन्हें बिल्ली कहीं नज़र नहीं आई।
Billi Ki Kahani |
कृत्ते ' भौं-भौं' करते हुए चारों ओर बिल्ली मौसी को ढूँढ़ रहे थे उधर पेड़ पर
छिपकर बैठी बिल्ली मन-ही-मन
कह रही थी-" मैं बिल्ली
मौसी हूँ, आसानी से
किसी के हाथ नहीं आती
Baccho ki kahaniya - Hindi Stories - Billi ki kahani में से बताइए:-
1. बिल्ली मौसी कहाँ रहती थी?
2. बिल्ली को देखकर कौन इधर-उधर छिप जाते थे?
3. चौराहे पर कौन बैठा हुआ था?
4. बिल्ली किसे देखकर डर गई?
5. कुत्तों से बचने के लिए बिल्ली ने क्या किया?
तोता और खरगोश की हिंदी स्टोरीज
तोता और खरगोश |
किसी जंगल में अमरूद के पेड़ पर एक तोता रहता था। उसका एक मित्र
था-खरगोश। खरगोश ने पेड़ के नीचे ही अपना घर बनाया हुआ था। तोता रोज़
खरगोश को ताज़े-ताज़े अमरूद देता था। लेकिन अमरूद खा-खाकर खरगोश का
मन भर गया था।
एक दिन खरगोश ने तोते से कहा-
मुझे अमरूद अच्छे नहीं लगते। मैं नई-नई
चीजें खाना चाहता हूँ।"
तोते ने कहा-"ठीक है मित्र,
तुम्हारे लिए कोई नई चीज़ लेकर
आऊँगा।"
तोता और खरगोश |
दूसरे दिन तोता खरगोश के लिए
एक गाजर लेकर आया। खरगोश
को गाजर बहुत अच्छी लगी। उसने
तोते से कहा-"यह गाजर तो बहुत
अच्छी है। अब मैं रोज़ गाजर ही
खाया करूँगा।"
"इसके लिए तुम्हें रोज़ खेत में जाना पड़ेगा," तोते ने कहा-" मैं अपनी छोटी-सी
चोंच में इतनी बड़ी गाजर नहीं ला सकता।"
दोपहर बाद खरगोश गाजर ढूँढ़ने के लिए खेत में चला गया| परंतु उसे कहीं
भी गाजर नज़र नहीं आई। वह निराश होकर वापस आ रहा था, तभी उसने एक
खेत में मिर्च के पौधे देखे।
उन पर लटकी लाल-लाल मिर्च देखकर खरगोश ने
मन-ही-मन कहा-"तोता तो बड़ी गाजर ले गया था, यहाँ तो छोटी-छोटी गाजर
लगी हैं। लेकिन कोई बात नहीं, मैं छोटी गाजर ही तोड़ लेता हूँ।"
खरगोश लाल मिर्च तोड़ता हुए |
खरगोश चार-पाँच लाल मिर्च तोड़कर अपने घर ले गया। तोता खरगोश के हाथ
में लाल मिर्च देखते ही बोला-"इन्हें मत खाना। ये गाजर नहीं हैं।"
" थोड़ी छोटी ही तो हैं। मैं इतनी मेहनत से लाया हूँ; मैं तो इसे जरूर खाऊँगा,
यह कहकर खरगोश ने एक लाल मिर्च अपने मुँह में रख ली। उसने जैसे ही दाँतों
से मिर्च को दबाया, वह मिर्च की जलन से चीखने लगा।
"ये गाजर नहीं लाल मिर्च हैं," तोते ने कहा-" जाओं, तालाब पर जाकर पानी
पी लो।"
खरगोश दौड़ता हुआ तालाब पर
पहुँचा। वह बार-बार पानी
पी रहा था, पर उसके
मुँह की जलन कम
नहीं हो रही थी।
Baccho ki kahaniya - Hindi Stories - Tote ki kahani में से बताइए:-
1 तोते का मित्र कौन था?
2. क्या खाकर खरगोश का मन भर गया था?
3. दूसरे दिन तोता खरगोश के लिए क्या लेकर आया?
4. गाजर ढूँढ़ने के लिए खरगोश कहाँ गया?
5, खरगोश क्या तोड़कर अपने घर ले गया?
चिंकी चिड़िया की Hindi Stories
चिंकी चिड़िया |
चिंकी नाम की एक चिड़िया थी। वह अपने परिवार से बिछड़ गई थी। खुले
आसमान में उसने दूर-दूर तक उड़ान भरी, परंतु उसे कोई भी अपना नज़र नहीं
आया। प्यास से उसका गला सूख रहा था। तभी उसे एक तालाब दिखाई दिया।
चिकी ने तालाब पर जाकर पानी पिया। वह बहुत थकी हुई थी। उसे अपने
परिवार से बिछड़ने का दुख भी था। वह निराश होकर सोचने लगी
कि अब वह कभी अपने परिवार से नहीं मिल
पाएगी। तभी एक कबूतर तालाब पर
आया। उसने चिंकी को दुखी
देखकर पूछा-"तुम
दुखी क्यों हो?
चिड़िया और कबूतर |
क्या मैं तुम्हारी
कोई मदद कर
सकता हूँ?"
चिंकी ने कबूतर
को
सब
सच
बता दिया। चिंकी
की कहानी सुनकर
कबूतर को भी दुख
हुआ।
उसने चिंकी
का हौसला बढ़ाते हुए
कहा-"चिंता मत करो।
तुम्हारा परिवार मिल जाएगा। "
कबूतर पास के ही एक पेड़ पर
अपने परिवार के साथ रहता था। वह
चिकी को अपने परिवार से मिलाने ले गया। कबूतर
के परिवार के सभी सदस्य चिकी से मिलकर बहुत खुश
हुए। लेकिन जब उन्हें चिंकी की कहानी पता चली तो वे
दुखी हो गए। सबने मिलकर चिंकी के परिवार को ढूँढ़ने
का फ़ैसला किया।
चिंकी थकी हुई थी, इसलिए कबूतर ने उसे आराम करने
के लिए कहा। चिंकी के परिवार को ढूँढने के लिए सारे
कबूतर अलग- अलग दिशाओं में निकल गए। कबूतरों के
अच्छे व्यवहार से चिंकी बहुत खुश थी। अब उसे उम्मीद
थी कि वह जल्द ही अपने परिवार से मिल पाएगी।
एक घंटे बाद चिकी ने देखा कि सारे कबूतर वापस आ रहे हैं। उनके साथ
चिंकी का परिवार भी था।
चिड़िया का परिवार |
अपने परिवार
को देखकर चिकी बहुत खुश हुई। उसके
परिवार के सब सदस्य भी बहुत खुश
थे। पास आकर कबूतर ने चहकते
हुए कहा-"आज से हम दोनों
परिवार मिल-जुलकर रहेंगे और
सुख-दुख में एक-दूसरे
की मदद करेंगे।
Baccho ki kahaniya - Hindi Stories - चिंकी चिड़िया की Hindi Stories में से बताइए:-
1. चिकी दुखी क्यों थी?
2. कबूतर कहाँ रहता था?
3. चिंकी से मिलकर कौन बहुत खुश हुए?
4. कबूतर ने चिंकी को आराम करने के लिए क्यों कहा?
5. किसे देखकर चिंकी बहुत खुश हुई?
बकरी की कहानी Hindi Stories
काली और भूरी बकरी |
किसी जंगल में दो बकरियाँ रहती थीं। एक का नाम काली था और दूसरी का
भूरी। काली बहुत जल्दबाज़ थी। उसमें धैर्य की कमी थी। लेकिन भूरी बिना
सोचे-समझे कोई काम नहीं करती थी।
काली और भूरी रोज़ साथ-साथ मैदान में घास चरने जाती थीं | मैदान के पास ही
एक नदी बहती थी। दोनों बकरियाँ पेट भरने के बाद
नदी पर पानी पीने जाती थीं। एक दिन
दोनों बकरियाँ नदी की तरफ़
जा रही थीं। तभी भूरी ने
देखा कि नदी के पास
एक भेड़िया खड़ा
हुआ है। भूरी ने काली से कहा-वहाँ तो भेड़िया है। चल, हम तालाव एर
चलते हैं।
बकरी और भेड़िया |
" तालाब तो दूर है,
काली ने
कहा-"मुझे तेज़ प्यास लगी है। मैं
तो नदी पर ही जाऊँगी।"
"नदी पर जाओगी, तो भेड़िया
तुम्हे मार डालेगा," भूरी
ने काली को समझाते
हुए कहा-"मेरी बात
मानो और वापस
चला।
काली ने भूरी की बात नहीं मानी। उसने कहा-" मैं भंड़िये से डरती नहीं
तालाब का गंदा पानी मुझे अच्छा नहीं लगता। मैं तो नदी पर जा रही।
काली नदी की तरफ़ बढ़ गई और भूरी वापस चली गई। जैसे ही काली नदी पर
पहुँची, भेडिये ने उसे देख लिया। वह एक पेड़ के पीछे छिप गया। जब काली
पानी पीकर वापस मुड़ी, भेड़िये ने उस पर हमला कर दिया। भेडिया काली से
ज्यादा ताकतवर था। उसने काली को मार दिया।
भेड़िया बकरी को मारता हुआ |
उधर भूरी अपनी बुद्धिमानी से
अपने प्राण बचाने में कामयाब
हो गई थी। उसने तालाब
पर पानी पिया और अपने
घर चली गई।
Hindi Stories - बकरी की कहानी में से बताइए:-
1. काली में किस बात की कमी थी?
2, काली और भूरी रोज़ कहाँ जाती थीं?
3. भूरी ने काली से तालाब पर चलने के लिए क्यों कहा?
4. किसने काली पर हमला कर दिया?
5. भूरी कैसे अपने प्राण बचाने में कामयाब हो गई थी?
बन्दर की Hindi Stories
टीटू बदर बहुत नटखट था। जंगल के सारे पशु-पक्षी उसकी शरारतों से परेशान
रहते थे। वह पेड़ की टहनी पर लटक कर झूला झूलता था, जिससे पेड़ पर आराम
कर रहे पक्षियों के बच्चे रोने लगते थे। वह कभी हाथी की पीठ पर चढ़कर नाचने
लगता, कभी हिरन
को 'खो-खो
करके
डरा देता।
बन्दर पेड़ पर झूलता हुआ |
एक दिन हाथी ने टीटू को
समझाते हुए कहा-"देखो बेटा,
ज्यादा शरारतें करना अच्छी बात
नहीं है। तुम्हारी शरारतों से दूसरों को
परेशानी होती है।"
"मैं तो किसी को परेशान नहीं करता, " टीटू ने भोला बनने का अभिनय करमे
हुए कहा।
" मेरा फ़र्ज़ है तुम्हें समझाना, " हाथी ने
कहा-"मेरी बात पर ध्यान नहीं दोगे
तो किसी दिन मुसीबत में फँस
जाओगे।"
बन्दर हाथी से बात करते हुए |
टीटू ने सचमुच हाथी की बात
पर ध्यान नहीं दिया। वह
पहले की तरह शरारतें
करता रहा। पास ही
एक तालाब
था। एक दिन टीटू कूदता हुआ तालाब पर पहुँच गया। वहाँ रेत पर एक मगरमच्छ
लेटा हुआ था। उसकी पीठ पर मक्खियाँ भिनभिना रही थीं।
टीट ने मगरमच्छ से कहा-"इतने ताकतवर हो, इन मक्खियों को नहीं
सकते?"
मगरमच्छ चुपचाप लेटा रहा। उसने टीटू को कोई उत्तर नहीं दिया। टीटू को एक
शरारत सूझी। उसने मगरमच्छ से कहा-"मगर भाई, आप कहें तो मैं इन मक्खियों
को उड़ा देँ?"
"ठीक है, उड़ा दो," मगरमच्छ ने कहा।
टीटू मगरमच्छ की पीठ पर चढ़ गया और
मक्खियाँ उड़ाने के बहाने नाचने लगा।
मगरमच्छ को गुस्सा आ गया।
बन्दर और मगरमच्छ |
उसने
टीटू की पूँछ काट ली। टीटू अपनी
जान बचाकर भागा। उस दिन के
बाद जंगल में सब पशु-पक्षी टीटू
को 'पूँछकटा' कहकर चिढ़ने
लगे।
Hindi Stories - बन्दर की कहानी में से बताइए:-
1. जंगल के पशु-पक्षी किससे परेशान रहते थे?
2. टीटू बंदर हिरन को कैसे डराता था?
3. रेत पर कौन लेटा हुआ था?
4. मगरमच्छ की पीठ पर चढ़कर टीटू ने क्या किया?
5. मगरमच्छ ने गुस्से में टीटू के साथ क्या किया?
आज आपने पढ़ी बच्चों की मजेदार कहानियाँ और अधिक कहानियाँ पढने के लिये यहा क्लिक करे
क्लिक Here